सार
लंबे समय से जंजीरों में बांधकर रखी गई 11 साल की मानसिक रोगी बच्ची को आखिरकार छुटकारा मिल गया है। प्रशासन ने बच्ची का मुफ्त में इलाज कराने और परिवार को आर्थिक सहायता मुहैया कराने का भरोसा दिया है।
रांची. लंबे समय से जंजीरों में बांधकर रखी गई 11 साल की मानसिक रोगी बच्ची को आखिरकार छुटकारा मिल गया है। मीडिया में लगातार छपी खबरों को संज्ञान में लेते हुए प्रशासन ने पहल करते हुए बच्ची का मुफ्त में इलाज कराने और परिवार को आर्थिक सहायता मुहैया कराने का भरोसा दिया है। हरमू हाउसिंग सोसायटी में रहने वाली बच्ची के लिए प्रशासन ने एक महीन की दवा उपलब्ध करा दी है। अर हर महीने उसे दवा मुहैया कराई जाएगी।
रांची की शॉकिंग स्टोरी-जंजीरों से बंधी थी मानसिक रोगी बच्ची
राजधानी के पॉश इलाके हरमू हाउसिंग सोसायटी में घरों में साफ-सफाई करने वाली एक महिला की ये बच्ची मजबूरी में जंजीरों में बांधकर रखी जा रही थी। जंजीरों के कारण बच्ची के हाथों में फफोले पड़ गए थे। बच्ची की दिमागी हालत ठीक नहीं है। बच्ची का बांधकर ही खाना-पीना दिया जाता रहा है। मां ने बताया कि बच्ची का CIP में इलाज कराया गया था। दवा के असर से बच्ची ठीक हो रही थी, लेकिन परिवार इतना गरीब है कि दवाइयां नहीं खरीद सकता था। जैसे ही दवाइयां बंद हुईं, बच्ची की हालत फिर पहले जैसी हो गई।
झालासा के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस ने उठाई जिम्मेदारी
बच्ची की हालत को लेकर मीडिया ने लगातार खबरें छापीं। नतीजा प्रशासन ने उसकी सुध ली। झारखंड स्टेट लीगल अथॉरिटी यानी झालसा(JHALSA) के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस एस चंद्रशेखर ने मामले को गंभीरता से लिया और उनके आदेश पर सचिव राकेश रंजन ने एक टीम गठित की। अब इस टीम की देखरेख में बच्ची का इलाज होगा। टीम हर महीने बच्ची को दवा भी उपलब्ध कराएगी। टीम की ज्योत्सना गोराई और पिंकू कुमारी ने बच्ची के परिजनों से जाकर मुलाकात भी की। बच्ची की जंजीरें खुलवाईं। हालांकि जब बेटी के हाथों में फफोले देखे, तो मां का कलेजा फट पड़ा।
मनोचिकित्सक डॉ. अशोक प्रसाद ने बच्ची का मुफ्त इलाज करने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि परिजन बच्ची को बरियातू क्लिनिक लाकर मुफ्त इलाज करा सकते हैं। उसे दवाइयां भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
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