सार
झारखंड राज्य के ग्रामीण और सुदूर जनजातीय क्षेत्रों में सड़क द्वारा आवागमन को बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना की शुरुआत की गई है, जिसकी मंजूरी मिलने वाली है।
Jharkhand News: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना लाने जा रही है। इससे जुड़े सभी लाभुकों को एक पहचान पत्र मिलेगा, जिसे स्मार्ट कार्ड कहा जाएगा। यह कार्ड लाभुकों की पहचान और सुविधाओं की जानकारी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। झारखंड के परिवहन विभाग ने इस प्रस्ताव को तैयार किया है, और इसे अंतिम रूप देने के लिए काम कर रहा है। इस संबंध में विभागीय मंत्री दीपक बिरुआ ने अपनी सहमति दे दी है। इस पहल से न केवल लाभुकों को सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि सरकार के लिए भी योजनाओं का प्रबंधन और मॉनिटरिंग आसान हो जाएगी। स्मार्ट कार्ड के इस्तेमाल से लाभुकों की पहचान और सेवाओं की डिलीवरी में सुधार होगा, जिससे योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सकेगा।
झारखंड मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग की माने तो ग्राम गाड़ी योजना को लेकर एक बैठक किया जाएगा। ये बुधवार या गुरुवार को होने की संभावना है, जिसमें प्रस्ताव पर स्वीकृति मिल जाएगी। बता दें कि योजना के तहत बनाए जा रहे पहचान पत्र (स्मार्ट कार्ड) से लाभुकों को कई प्रकार के फायदे मिलेंगे।
स्मार्ट कार्ड से लाभुकों मिलने वाले फायदे
यात्रा की सुविधा: पहचान पत्र बनने के बाद लाभुक राज्य के किसी भी जिले में कहीं भी वाहनों में सफर कर पाएंगे, जिससे उन्हें यात्रा के दौरान किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।
बस भाड़ा में रियायत: लाभुकों को बस भाड़ा में मिलने वाली रियायत दो तरह की होगी, जिससे उनकी यात्रा और भी सस्ती और सुगम हो जाएगी।
लाभुकों की संख्या: योजना के तहत लाभुकों की संख्या लगभग एक करोड़ है, जो इस पहचान पत्र का लाभ उठा सकेंगे।
खर्च: पहचान पत्र बनाने में लगभग 23 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
लाभुकों की श्रेणियां: लाभुकों की कुल 10 श्रेणियां तय की गई हैं, जिनमें से सभी को यह पहचान पत्र मिलेगा।
किन लोगों को कितना मिलेगा आरक्षण?
वर्ग लाभार्थी को रियायत (साथ रहने वाले) को रियायत
वरिष्ठ नागरिक 100 फीसदी कुछ नहीं
(60 वर्ष से अधिक)
छात्र-छात्राएं 100 फीसदी कुछ नहीं
पूरी तरह दृष्टिबाधित 100 फीसदी 100 फीसदी
मानसिक बीमारी ग्रस्त व्यक्ति 100 फीसदी 100 फीसदी
गूंगा और बहरा 100 फीसदी कुछ नहीं
शारीरिक अपंगता (50 से 100) 100 फीसदी 100 फीसदी
शारीरिक अपंगता (40 से 49) 100 फीसदी कुछ नहीं
एचआईवी और एड्स पीड़ित 100 फीसदी कुछ नहीं
विधवा पेंशन धारक 100 फीसदी कुछ नहीं
झारखंड आंदोलनकारी 100 फीसदी कुछ नहीं
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