सार
झारखंड के गुमला जिले में रागी की खेती को बढ़ावा मिल रहा है। इस बीच भारत सरकार की ओर से हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में इसका एक ‘केस स्टडी प्रेजेंटेशन’ दिया गया है।
Ragi Revolution Case Study: झारखंड का अत्यंत गरीब और नक्सलवाद के लिए पहचाने जाने वाला गुमला जिला अब एक प्रकार के मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थों को लेकर एक मूक क्रांति (Silent Revolution) का गवाह बन रहा है,जो कुपोषण (Malnutrition) को रोकने में मदद कर सकता है। दरअसल, एक युवा नौकरशाह सुशांत गौरव की पहल पर जंगल से घिरे इस जिले में एक नए कृषि-उद्योग (Agro-Industry) को बढ़ावा दिया जा रहा है। गौरव कहते हैं कि वह गुमला को पूर्वी भारत में रागी की राजधानी बनाना चाहते हैं।
बता दें कि राज्य की राजधानी रांची से लगभग 100 किलोमीटर दूरगुमला में सुशांत के काम को लेकर लोक प्रशासन (Public Administratio) में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कारों के लिए चुना गया है ,जो देश भर के सिविल सेवकों (Civil Servants) द्वारा किए गए उदाहरणात्क कामों (Exemplary Work ) के लिए दिया जाता है।
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में दिया रेजेंटेशन
बता दें कि भारत सरकार के कौशल विकास मंत्रालय के तहत महात्मा गांधी नेशनल फेलो अविनाश कुमार ने उपायुक्त की ओर से हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एक ‘केस स्टडी प्रेजेंटेशन’ दिया। उन्होंने कहा कि संस्थान गुमला मॉडल पर एक ‘केस स्टडी’ कर रहा है, जिसे अंतरराष्ट्रीय बिजनेस स्कूलों में प्रसारित किया जाएगा और सिविल सर्वेंट को ट्रेनिंग देने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
भारत को मिला 72 देशों का समर्थन
इसके अलावा मोटे अनाज के महत्व को स्वीकार करते हुए उन्होंने 2023 को International Year of Millets घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGC) के संकल्प की अगुवाई की। भारत के इस प्रस्ताव को 72 देशों का समर्थन मिला। बता दें कि मोटा अनाज शब्द छोटे बीज वाले अनाज के लिए इस्तेमाल किया किया जाता है। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, कुटकी, काकुन, चीना, सावा और कोदो शामिल हैं।
1,600 एकड़ में रागी खेती से की शुरूआत
इससे पहले गुमला की अर्थव्यवस्था चावल की खेती के साथ वर्षा आधारित कृषि (Rain-Fed Agriculture ) के इर्द-गिर्द घूमती थी। उपायुक्त सुशांत गौरव ने एक साक्षात्कार में पीटीआई को बताया कि जिले में रागी की खेती शुरू करने के लिए राष्ट्रीय बीज निगम के माध्यम से हाई क्वालिटी बीज खरीदे गए थे। शुरूआत में 1,600 एकड़ में रागी खेती कई गई। इसके बाद इसे 3,600 एकड़ जमीन पर कर दिया गया।
झारखंड में पहला रागी प्रोसेसिंग सेंटर स्थापित
उन्होंने कहा कि हमने एक रागी प्रोसेसिंग सेंटर (Ragi Processing Centre) स्थापित किया। यह झारखंड का पहला रागी प्रोसेसिंग सेंटर है। उन्होंने बताया कि जिले में रागी से लड्डू, भुजिया नमकीन और आटे का उत्पादन किया जा रहा है जो कुपोषण और एनीमिया से लड़ने में मदद करता है,क्योंकि यह प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन से भरपूर है।
शुक्रवार को सुशांत गौरव को मिलेगा पुरस्कार
गौरव शुक्रवार को विज्ञान भवन नई दिल्ली में पुरस्कार प्राप्त करेंगे। यह पहली बार है कि झारखंड के किसी जिले को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। गौरव ने कहा,'हम इस आकांक्षी जिले को एक परिवर्तनकारी और प्रेरणादायक जिले में बदल देंगे।' उपायुक्त ने आगे कहा कि रागी के उत्पादन, खरीद और प्रोसेसिंग की सफलता की कहानी और अधिक लोगों को अनाज की खेती के लिए आगे लाएगी। यहां 26,000 एकड़ भूमि पर रागी की खेती हो रही है और महीने के अंत तक यह 30,000 एकड़ फैल जाएगी।