भोपाल में वरिष्ठ अधिवक्ता शिवकुमार वर्मा ने झूठे ‘आतंकी फंडिंग’ आरोप और साइबर ठगों की धमकी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। उनके सुसाइड नोट में आरोपों की सच्चाई सामने आई है। पुलिस साइबर नेटवर्क की जांच कर रही है और मामले को गंभीरता से देख रही है।
राजधानी भोपाल की शांत बरखेड़ी कॉलोनी में कल रात एक ऐसी खबर ने दस्तक दी, जिसने पूरे कानूनी समुदाय से लेकर आम लोगों तक को हिला दिया। एक अनुभवी अधिवक्ता, जो बरसों से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे थे, उन्होंने अपने ही घर में फंदा लगाकर जीवन समाप्त कर लिया। पीछे छोड़े गए सुसाइड नोट ने ना सिर्फ उनकी पीड़ा उजागर की, बल्कि साइबर ठगी के उस काले सच को भी सामने रखा जिससे आज हजारों लोग जूझ रहे हैं।
झूठे ‘आतंकी फंडिंग’ आरोप से टूटे वरिष्ठ अधिवक्ता
62 वर्षीय अधिवक्ता शिवकुमार वर्मा बरखेड़ी इलाके में रहते थे। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि कुछ साइबर ठगों ने उनके नाम को पहलगाम हमले के आतंकियों की फंडिंग से जोड़ने का झूठा आरोप लगाया। इस आरोप ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया। उन्होंने लिखा कि देशद्रोही कहलाने का डर और झूठी धमकियों ने उन्हें मानसिक रूप से इतना कमजोर कर दिया कि वे इस तनाव को और सहन नहीं कर सके।
नोट में उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने हमेशा न्याय, ईमानदारी और सामाजिक सेवा को अपना लक्ष्य बनाया, लेकिन झूठी बदनामी उनके आत्मविश्वास पर भारी पड़ गई।
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घर खाली था, अकेलेपन में उठाया आखिरी कदम
घटना के वक्त घर पर शिवकुमार अकेले थे। उनका बेटा पुणे में नौकरी करता है, जबकि पत्नी और बेटी इलाज के लिए दिल्ली गई हुई थीं। पुलिस के अनुसार, इस दौरान उन्होंने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मौके से बरामद सुसाइड नोट में लिखा था “मैं अपनी इच्छा से जान दे रहा हूं। किसी ने मेरा नाम पहलगाम हमले के आतंकियों को फंडिंग से जोड़ दिया है।”
पुलिस ने शव और सुसाइड नोट को कब्जे में लेकर मामले की जांच शुरू कर दी है।
“किसी ने झूठा आरोप लगाया, मैं निर्दोष हूं” — सुसाइड नोट के अहम अंश
सुसाइड नोट में उन्होंने गैस त्रासदी के दौरान की गई सेवाओं का उल्लेख करते हुए लिखा कि उन्होंने हमेशा समाज और अपने पेशे के प्रति ईमानदारी निभाई। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह फर्जी, अपमानजनक और मानसिक उत्पीड़न का कारण बने।
मामला जहांगीराबाद थाना क्षेत्र का, साइबर ठगों पर शिकंजा कसने की तैयारी
जहांगीराबाद थाना पुलिस ने इसे गंभीर मामला बताते हुए जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी IP एड्रेस और कॉल डिटेल की तकनीकी जांच कर रहे हैं, ताकि उन साइबर ठगों तक पहुंचा जा सके जिन्होंने यह झूठा आतंकवाद-संबंधी आरोप लगाया।
पुलिस ने आम नागरिकों और अधिवक्ताओं से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध साइबर कॉल, धमकी या फर्जी आरोप की तुरंत सूचना पुलिस को दें, ताकि ऐसे मामलों की रोकथाम हो सके।
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Disclaimer: आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं है। अगर आपके मन में भी सुसाइड या खुद को चोट पहुंचाने जैसे ख्याल आ रहे हैं तो आप फौरन घर-परिवार, दोस्तों और साइकेट्रिस्ट की मदद ले सकते हैं। इसके अलावा आप इन हेल्पलाइन नंबरों पर कॉल करके भी मदद मांग सकते हैं। आसरा (मुंबई) 022-27546669, सुमैत्री (दिल्ली) 011-23389090, रोशनी (हैदराबाद) 040-66202000, लाइफलाइन 033-64643267 (कोलकाता)। मानसिक तनाव होने पर काउंसलिंग के लिए हेल्पलाइन नंबर 14416 और 1800 8914416 पर संपर्क कर घर बैठे मदद पा सकते हैं।
