क्या आप जानते हैं कि भोपाल वन विहार में अब टूरिस्ट शांति से इलेक्ट्रिक सफारी का आनंद ले सकते हैं? CM मोहन यादव ने वन्यजीव सप्ताह का शुभारंभ किया। बाघ, चीता, मगरमच्छ और गिद्ध संरक्षण की नई पहल से सब चौंक गए।

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के वन विहार में अब आने वाले पर्यटक डीजल वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक सफारी का आनंद ले सकेंगे। इससे गाड़ियों के बेवजह बजने वाले हॉर्न और शोर से मुक्ति मिलेगी। यह बदलाव ईको टूरिज्म और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 1 अक्टूबर को राज्य स्तरीय वन्यजीव सप्ताह का शुभारंभ किया। इस मौके पर 40 इलेक्ट्रिक वाहनों को हरी झंडी दिखाई गई और कर्मचारियों व पर्यटन विकास समितियों को पुरस्कार प्रदान किए गए।

कैसे मध्यप्रदेश वन्यजीव संरक्षण में बना देश का आदर्श?

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में 11 नेशनल पार्क, 9 टाइगर रिजर्व, 36 वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी और एक कंजर्वेशन रिजर्व हैं। प्रदेश की 30 प्रतिशत से अधिक भूमि वनों से भरी हुई है। वन्यजीव संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार ने कई पहलें की हैं, जैसे चीता मित्र, हाथी मित्र और ताप्ती संरक्षण रिजर्व। इसी कारण पिछले साल 13.81 लाख पर्यटक मध्यप्रदेश में वन्यजीव देखने आए।

क्या यह सच है कि भोपाल वन विहार में कोबरा भी बसाया जा रहा है?

जी हां, अब वन विहार में कोबरा का संरक्षण भी शुरू हुआ है। वन विभाग ने पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुराने डीजल वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों से बदल दिया है। इसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवों के लिए बेहतर अनुभव सुनिश्चित करना है।

कैसे अमूल्य वन्यजीवों का मिलेगा सुरक्षा और चिकित्सा सहयोग?

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जू एंड रेस्क्यू सेंटरों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसका उद्देश्य है कि घायल जंगली जानवरों को समय पर उचित इलाज मिले। उज्जैन और जबलपुर में नए चिड़ियाघर बन रहे हैं। साथ ही, तवा नदी में मगरमच्छों को छोड़ा जाएगा, जिससे प्राकृतिक आवास में उनका संरक्षण सुनिश्चित हो सके।

मध्यप्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या नई पहल हुई हैं?

  • 40 इलेक्ट्रिक वाहनों से सफारी
  • वन्यजीवों पर आधारित किताब और रिपोर्ट विमोचन
  • 'भारत के वन्यजीव-उनका रहवास एवं आपसी संचार' पर फोटो प्रदर्शनी
  • 626 पर्यटन समितियों को 18 करोड़ 74 लाख रुपये के पुरस्कार
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की यह पहल ईको टूरिज्म और वन्यजीव संरक्षण का आदर्श उदाहरण है।

क्या भावांतर योजना किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी?

डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार किसानों के कल्याण के लिए भी हर स्तर पर काम कर रही है। प्रदेश के सोयाबीन उत्पादक किसानों को उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए भावांतर योजना फिर से लागू की गई है। इस योजना के जरिए किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का पूरा लाभ मिलेगा। केंद्र सरकार ने इस वर्ष सोयाबीन की MSP 5328 रुपए प्रति क्विंटल तय की है, जो पिछले साल से 528 रुपए अधिक है। किसान 3 अक्टूबर से योजना में पंजीकरण कर 24 अक्टूबर से मंडियों में सोयाबीन बेच सकेंगे। राशि सीधे उनके बैंक खाते में अंतरित की जाएगी।

मध्यप्रदेश वन्यजीव संरक्षण में कैसे बना मिसाल?

राज्य में बाघ, चीता, घड़ियाल, मगरमच्छ और गिद्धों के संरक्षण के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। जल, थल और नभचर सभी प्रकार के वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। CM डॉ. यादव ने कहा कि राज्य को वन संपदा का आदर्श केंद्र बनाया जाएगा।