MP के छिंदवाड़ा में 15 साल की नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता ने बस स्टैंड पर कीचड़ में बच्चे को जन्म दिया। न कोई डॉक्टर, न कोई देखरेख… अकेली तड़पती रही, सिस्टम मूकदर्शक बना रहा। इंसानियत बची, तो सिर्फ दो अजनबियों में!
Chhindwara Minor Delivery: मध्यप्रदेश के परासिया में एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की ने ऐसी परिस्थिति में बच्ची को जन्म दिया, जिसे सुनकर भी किसी की रूह कांप जाए। यह नाबालिग पहले ही दुष्कर्म की पीड़िता थी और अब उसने बस स्टैंड पर कीचड़ में खुले में एक बच्ची को जन्म देकर एक बार फिर समाज और सिस्टम दोनों को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
जब दर्द के साथ आई पीड़ा, और साथ नहीं आया कोई!
यह घटना मंगलवार दोपहर की है। बारिश से गीला बस स्टैंड, चारों ओर कीचड़ और एक बच्ची जो अभी खुद बचपन से बाहर नहीं निकली, अचानक दर्द से कराहती है और वहीं जमीन पर गिरकर प्रसव कर बैठती है। न कोई देखरेख, न सहायता, न अस्पताल – केवल एक निर्दयी सिस्टम।
आशा कार्यकर्ता ने बीच रास्ते में छोड़ा, डॉक्टर पहुंचे दो घंटे बाद
बताया गया कि नाबालिग लड़की एक आशा कार्यकर्ता के साथ अस्पताल जांच के लिए आई थी, लेकिन जब आशा कार्यकर्ता के खुद के बच्चे की तबीयत खराब हुई तो उसने लड़की को बस स्टैंड पर ऑटो में छोड़ दिया और चली गई। वह गर्भवती नाबालिग बच्ची अकेली रह गई और कुछ ही देर में कीचड़ में लेटकर उसने नवजात को जन्म दे दिया। परासिया अस्पताल में 3:45 बजे पहुंचने के बाद भी महिला चिकित्सक ने 5 बजे जाकर जांच की, यानी करीब डेढ़ घंटे तक दोनों को सिर्फ प्राथमिक उपचार ही मिला।
हिना शाह और संतोष बाथव: जिनसे इंसानियत अब भी जिंदा है
जब पूरा सिस्टम सोया था, तब हिना शाह और संतोष बाथव नामक दो स्थानीय नागरिकों ने इंसानियत दिखाई। उन्होंने बच्ची और उसकी नवजात को उठाकर तुरंत अस्पताल पहुंचाया। इनका ये कदम किसी मसीहा से कम नहीं। अब भले ही लोग हिना और संतोष के कदम की सराहना कर रहे हों लेकिन जब किशोरी दर्द से तड़प रही थी तो कोई भी मदद करने के लिए सामने नहीं आया था।
बीएमओ का बयान: नवजात कमजोर, जिला अस्पताल रेफर
बीएमओ डॉ. अंकित सहलाम ने बताया कि नवजात बच्ची कमजोर और प्रीमैच्योर है। दोनों को विशेष निगरानी के लिए जिला अस्पताल रेफर किया गया है। मां और बच्ची की हालत अभी नियंत्रण में है।
