ASI Suicide: मध्य प्रदेश के दतिया में एएसआई प्रमोद पावन की खुदकुशी ने सनसनी फैला दी है। सुसाइड से पहले रिकॉर्ड किए वीडियो में उन्होंने थाना प्रभारी और रेत माफिया की मिलीभगत, धमकियों और मानसिक प्रताड़ना का खुलासा किया है। पूरा महकमा सकते में है!

Datia ASI Suicide Case: एक पुलिसकर्मी जिसे कानून का रक्षक माना जाता है, जब खुद को असहाय पाकर आत्महत्या कर ले, तो सवाल सिर्फ मौत का नहीं, पूरे सिस्टम पर उठते हैं। दतिया जिले के गोंदन थाना में पदस्थ एएसआई प्रमोद पावन ने अपने ही घर में फांसी लगाकर जान दे दी। लेकिन इस मौत से पहले उन्होंने ऐसा वीडियो रिकॉर्ड किया है, जिसने मध्य प्रदेश पुलिस और रेत माफिया के रिश्तों की चौंकाने वाली परतें खोल दी हैं।

जिस दिन ट्रैक्टर रोका, उसी दिन से मेरी मौत लिख दी गई थी

एएसआई प्रमोद पावन ने वीडियो में बताया कि उन्होंने गोंदन गांव के बबूल यादव का अवैध रेत से भरा ट्रैक्टर पकड़ा था। इसी दिन से उनकी प्रताड़ना शुरू हो गई। उन्होंने थाना प्रभारी अरविंद सिंह भदौरिया, थरेट थाना प्रभारी अंफसुल हसन और सिपाही रूप नारायण पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके मुताबिक ये सभी लोग उन्हें लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे। यहां तक कि उन्हें जातिसूचक गालियां दी गईं और जान से मारने की धमकियां दी गईं।

ट्रैक्टर से कुचलने की मिली थी धमकी

वीडियो में प्रमोद पावन ने कहा कि बबूल यादव ने धमकी दी थी कि वह किसी दिन उन्हें ट्रैक्टर से कुचल देगा। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें कुछ होता है, तो इसके जिम्मेदार ये अधिकारी और माफिया होंगे।

Scroll to load tweet…

‘दो महीने से छुट्टी नहीं, आधार तक नहीं सुधरवा पाया’

ASI प्रमोद का दर्द वीडियो में साफ झलकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें दो महीने से छुट्टी नहीं दी जा रही थी। खाना तक नहीं खा पा रहे थे और मानसिक तनाव इतना बढ़ गया था कि आधार कार्ड सही कराने तक का समय नहीं मिल रहा था।

"मेरे पास सबूत हैं… पर मैं थक चुका हूं"

उन्होंने अपने वीडियो में कहा, “मेरे पास हर बात के सबूत हैं। मैं अधिकारियों को दे सकता हूं, लेकिन मैं अब थक चुका हूं। अगर मुझे कुछ होता है, तो इन लोगों की वजह से होगा।” उनके द्वारा रिकॉर्ड किए गए कई वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं और इस पूरे मामले ने प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है।

अब उठ रहा सवाल-क्या होगी जिम्मेदारों पर कार्रवाई? 

प्रमोद पावन की खुदकुशी सिर्फ एक मौत नहीं, बल्कि एक सिस्टम के सड़ने की कहानी है। क्या मध्य प्रदेश पुलिस इस मामले में निष्पक्ष जांच कर पाएगी? क्या रेत माफिया और कथित भ्रष्ट अधिकारी जेल तक पहुंचेंगे या एक और शहीद की चुप्पी में दबा दिया जाएगा?