सार
मणिपुर में हुई भीषण हिंसा के बाद अब हालात धीरे-धीरे समान्य होने लगे हैं। अब तक दंगाई इलाके में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। वहीं हिंसा प्रभावित इलाके में अभी मध्य प्रदेश के 20 छात्र फंसे हुए हैं।
भोपाल. पिछले कुछ दिनों से मणिपुर सुलग रहा है। जहां मैतेई समुदाय के लोग एसटी का दर्जा चले जाने के चलते सड़कों पर विरोध कर रहे हैं। इस दौरान जगह-जगह आगजनी और पत्थरबाजी भी हुई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस हिंसा में अब तक 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। चप्पे-चप्पे पर पुलिस और आर्मी के जवान तैनात हैं। हलांकि अब धीरे-धीरे हालात सामान्य होने लगे हैं। वहीं मणिपुर के हिंसा प्रभावित क्षेत्र में मध्य प्रदेश के 20 छात्र अभी भी फंसे हुए हैं। प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि जल्द ही सभी बच्चों को सुरक्षित लाया जाएगा।
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा-सभी बच्चे मणिपुर से वापस आएंगे
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा मीडिया से बात करते हुए कहा-मणिपुर से फंसे मध्यप्रदेश के बच्चों को वापस लाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं मणिपुर के मुख्यमंत्री जी से बात कर रहे हैं। मध्यप्रदेश और मणिपुर के गृह विभाग और पुलिस के अधिकारी भी उच्चस्तर पर चर्चा कर रहे हैं। जल्द ही मध्यप्रदेश के सभी बच्चों की सुरक्षित वापसी होगी।
कमलनाथ ने कहा-हम बच्चों को लेकर चिंतित…
वहीं इससे पहले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा मणिपुर में जारी हिंसा और उपद्रव से हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। इंटरनेट व संचार सेवाएँ बंद है। इम्फ़ाल की नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी सहित राज्य के अन्य शिक्षण संस्थानों में मध्य प्रदेश के अनेक छात्र अध्ययनरत हैं। मध्य प्रदेश में हम सब इन बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। मेरा मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश सरकार से अनुरोध है कि मणिपुर सरकार और केंद्र सरकार के साथ संवाद स्थापित कर मणिपुर हिंसा में फंसे इन बच्चों की सुरक्षित मध्य प्रदेश वापसी सुनिश्चित करायें।
क्या हैं अभी मणिपुर हिंसा के हालात
फिलहाल मणिपुर के हिंसा प्रभावित इलाकों में हालात धीरे-धीरे सामान्य होने लगे हैं। हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित चुराचांदपुर जिले में भी कर्फ्यू में ढील दी गई। वहीं आम जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है। हलांकि लोगों की सुरक्षा और हालात ठीक होने तक पुलिस और आर्मी की तैनाती बनी रहेगी। हालात सामान्य बनाने के लिए सेना और असम राइफल्स के 100 से अधिक कॉलम काम कर रहे हैं। सेना के 100 से ज्यादा कॉलम 96 घंटे से निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए काम रहे हैं। वहीं हेलिकॉप्टरों के जरिए भी नजर रखी जा रही है।