मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने MSME सम्मेलन में कहा कि वर्ष 2025 ‘निवेश एवं रोजगार वर्ष’ है। उद्यम क्रांति योजना, स्टार्टअप पॉलिसी और औद्योगिक विकास से युवाओं को आत्मनिर्भर बनाकर मध्यप्रदेश आर्थिक प्रगति की नई दिशा दे रहा है।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य प्रदेश में उद्यमिता को प्रोत्साहन देकर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। यह वर्ष निवेश और रोजगार वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि “हम अपनी युवा शक्ति, अपने सपनों और सुनहरे भविष्य में निवेश कर रहे हैं।”
उद्यम क्रांति योजना से युवाओं को मिली नई दिशा
मुख्यमंत्री ने बताया कि उद्यम क्रांति योजना ने हजारों युवाओं को बैंकिंग सहायता देकर उद्योग शुरू करने की हिम्मत दी है। अब प्रदेश के युवा रोजगार मांगने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि एमएसएमई (MSME) देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं- ये उद्योग रोजगार के अवसर बढ़ाते हैं और आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “आज का सम्मेलन सिर्फ औद्योगिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि नए भारत के दीपोत्सव की शुरुआत है- यह विश्वास और स्वाभिमान का उत्सव है।”
700 MSME इकाइयों को 197 करोड़ की सहायता, 63 स्टार्टअप्स को मिला सहयोग
भोपाल के एक निजी होटल में आयोजित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने
- 700 MSME इकाइयों को सिंगल क्लिक से 197 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी,
- 63 स्टार्टअप्स को EIR सहायता योजना के तहत 1.20 लाख रुपये प्रति वर्ष की दर से कुल एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित की।
इसके साथ ही 237 उद्यमियों को भू-आवंटन पत्र और 5084 युवाओं को मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत 347 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक ऋण सहायता दी गई।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव: 'आप सब आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का आधार हैं'
डॉ. यादव ने कहा कि भारत की लगभग 80 करोड़ आबादी किसी न किसी रूप में MSME से जुड़ी है। यह सेक्टर करोड़ों परिवारों की आशा, आत्मसम्मान और स्वावलंबन का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि “एमएसएमई पूरे देश का उदर पोषण कर रहे हैं। गांव-शहरों में लाखों लोग छोटे उद्योगों से स्वावलंबी बन रहे हैं।”
MSME का योगदान: GDP का 30% और निर्यात में 45% हिस्सेदारी
मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत में 6 करोड़ से अधिक MSME इकाइयां हैं, जो देश की GDP में 30% योगदान देती हैं और कुल निर्यात में 45% हिस्सेदारी रखती हैं। उन्होंने कहा कि 'भारत आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है, जिसमें लघु उद्योगों का बड़ा योगदान है।' प्रदेश के पारंपरिक उत्पाद, जैसे- माहेश्वरी साड़ी, सीहोर का शरबती गेहूं, रायसेन का बासमती चावल, भोपाल की जरी, झाबुआ की गुड़िया, डिंडौरी का श्रीअन्न- ये सभी अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बनने की क्षमता रखते हैं।
स्टार्टअप पॉलिसी 2025 से बढ़ रहा नवाचार का मार्ग
मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश स्टार्टअप पॉलिसी 2025 के तहत नए उद्यमियों को एक वर्ष तक 10,000 रुपये प्रतिमाह सहायता दी जा रही है। प्रदेश में फिलहाल 4 लाख से अधिक MSME विनिर्माण इकाइयां रजिस्टर्ड हैं और सभी सेवाएं वन-स्टॉप सुविधा केंद्रों के माध्यम से दी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 6,000 से अधिक स्टार्टअप्स पंजीकृत हैं, जिनमें से 47% महिलाओं के नेतृत्व में हैं। प्रदेश के 102 इंक्यूबेशन सेंटर युवाओं को अपने विचारों को व्यवसाय में बदलने का अवसर दे रहे हैं। स्टार्टअप रैंकिंग 2022 में मध्यप्रदेश को लीडर श्रेणी में स्थान मिला है।
औद्योगिक विकास को नई रफ्तार: 19 नए औद्योगिक क्षेत्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष 800 से अधिक भूखंड उद्योगों को दिए जा चुके हैं। 19 नए औद्योगिक क्षेत्र बन रहे हैं और 10 नए क्षेत्र विकसित करने का प्रस्ताव तैयार है। मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत युवाओं को 50 लाख रुपये तक का लोन बिना गारंटी मिल रहा है। सरकार जमीन और पूंजी दोनों उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा कि डिजिटल रिटर्न व्यवस्था से फाइलिंग आसान हुई है और GST ने उद्योगों को नई पहचान दी है।
‘वोकल फॉर लोकल’ से आत्मनिर्भर भारत की राह
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को आर्थिक स्वतंत्रता का नारा बनाना होगा। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मार्ग छोटे-छोटे उद्योगों से होकर गुजरता है।
MSME के सहयोग से हम भारत को 2047 तक सबसे मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा, “स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत की दिवाली इसी सम्मेलन से शुरू हो रही है।”
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री चैतन्य कुमार काश्यप के वक्तव्य
मंत्री चैतन्य कुमार काश्यप ने बताया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगस्त 2025 तक 200 करोड़ की प्रोत्साहन राशि उद्यमियों को दी गई है — यह देश में सबसे तेज़ वितरण का उदाहरण है। प्रदेश में पहली बार 50% लैंड लॉक सब्सिडी शुरू की गई है, जिससे निर्यात व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि सब्सिडी किसी उद्योगपति के लिए शुरुआती दो साल में हैंड-होल्डिंग सपोर्ट की तरह होती है।
निवेश को बढ़ावा और हर ब्लॉक में औद्योगिक इकाई की योजना
काश्यप ने बताया कि प्रदेश में 1080 भूखंड उद्यमियों को आवंटित किए गए हैं। राज्य सरकार ने हर ब्लॉक में औद्योगिक इकाई स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। स्टार्टअप अप्रूव होने पर सरकार एक वर्ष तक 10,000 रुपये प्रतिमाह सहायता देती है ताकि नया आइडिया जमीन पर उतरे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 को सरकार ने “उद्योग एवं रोजगार वर्ष” के रूप में घोषित किया है।
प्रमुख सचिव राघवेंद्र कुमार सिंह: MSME के लिए सर्वश्रेष्ठ नीतियां लागू
प्रमुख सचिव ने बताया कि सरकार का उद्देश्य है कि युवाओं को रोजगार मिले और उद्योग बढ़ें। प्रदेश में फरवरी 2025 में 18 नई उद्योग नीतियां लागू की गई हैं। पहले एमएसएमई निवेश पर 40% प्रोत्साहन मिलता था, अब 83 करोड़ रुपये तक के निवेश पर 50% इंसेंटिव दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024–25 में 2,500 यूनिट्स को 2,162 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी गई है, जबकि उद्यम क्रांति योजना में 613 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है। प्रदेश में अब तक 820 इकाइयों को भूमि आवंटन हो चुका है और आज 237 उद्यमियों को पत्र वितरित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 6,000 से अधिक स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से 2,800 महिलाओं के नेतृत्व में हैं। आज 83 स्टार्टअप्स को एक करोड़ रुपये से अधिक की सहायता राशि दी गई है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उद्यमियों से संवाद कर बढ़ाया आत्मविश्वास
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बालाघाट और टीकमगढ़ के लघु उद्यमियों से संवाद किया। उन्होंने भोपाल के उद्योगपतियों और नव उद्यमियों से भी चर्चा की और उन्हें प्रोत्साहित किया। सम्मेलन में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग के अधिकारी, उद्योग संगठन, स्टार्टअप प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में उद्यमी मौजूद थे।
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