बालाघाट में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने 10 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। सरकार ने पुनर्वास, सुरक्षा और विकास की गारंटी दी। एंटी नक्सल अभियान को नए कैंप, बढ़ी फोर्स और रोजगार प्रयासों से मजबूत किया गया है। नक्सली दायरा लगातार घट रहा है।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में रविवार को बड़ी उपलब्धि मिली। बालाघाट में 10 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 4 महिला नक्सली भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने उन्हें संविधान की प्रति देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ा। सभी नक्सलियों ने अपने हथियार मुख्यमंत्री को सौंपे।
‘प्रदेश को नक्सल मुक्त बनाना सरकार की प्रतिबद्धता’
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुसार सरकार मध्यप्रदेश को पूरी तरह नक्सल मुक्त बनाने के लिए संकल्पित है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी भी व्यक्ति को हथियार उठाने की अनुमति नहीं है और नक्सलियों को पुनर्वास नीति अपनाने की सलाह दी। सरकार उनके जीवन को सुरक्षित करने, विकास सुनिश्चित करने और उन्हें समाज से जोड़ने के हर संभव प्रयास कर रही है।
एंटी नक्सल अभियान को लगातार किया जा रहा मजबूत
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में 15 नए अस्थायी कैंप और विशेष सहयोगी दस्ता के 882 पद स्वीकृत किए गए हैं। सतत निगरानी, जांच और लगातार की जा रही कार्रवाइयों से नक्सली गतिविधियों में तेज़ी से कमी आई है। पुनर्वास के लिए पिछले वर्ष नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 46 एकल सुविधा केंद्र शुरू किए गए थे। इन केंद्रों से रोजगार, वन अधिकार पत्र और अन्य जरूरी सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
शहीद आशीष शर्मा को नमन, 328 पुलिसकर्मियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन
मुख्यमंत्री ने शहीद आशीष शर्मा को श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि कर्तव्यपथ पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले 328 हॉक फोर्स और पुलिस अधिकारियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया है। उन्होंने कहा कि कानून की राह अपनाने वालों के पुनर्वास की जिम्मेदारी सरकार की है।
डीजीपी कैलाश मकवाना: ‘नक्सल समर्पण लगातार बढ़ रहा है’
डीजीपी कैलाश मकवाना ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एंटी नक्सल अभियान को मजबूत किया गया है। नए कैंप बनाए गए हैं, पुलिस बल में वृद्धि हुई है और जवानों को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं और मध्यप्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों में भी नक्सल समर्पण बढ़ा है। रोजगार और स्किल डेवलपमेंट के प्रयासों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की सूची
- सुरेंद्र उर्फ कबीर उर्फ सोमा सोढी, पिता उंग्गा सोढी, उम्र 50, निवासी पुलमपाढ, थाना गुल्लापल्ली, जिला सुकमा (छग)।
- राकेश ओडी उर्फ मनीष, पिता समरत ओडी, उम्र 42, निवासी झंडेपार (बोट्टेकसा), थाना कोरची, जिला गडचिरौली (महाराष्ट्र)।
- लालसिंह मरावी उर्फ सींगा उर्फ प्रवीण, पिता भीमा, माता ऊंगी, उम्र 30, निवासी छोटे गुडरा, थाना कटेकल्याण, जिला दंतेवाड़ा (छग)।
- शिल्पा नुप्पो, पिता जोगा, माता बीमे, उम्र 26, निवासी बुडिया बट्टुम, थाना बासीगुडा, तहसील हवापल्ली, जिला बीजापुर (छग)।
- सलीता उर्फ सावित्री अलावा, पिता लकमु, माता चिको, उम्र 26, निवासी सीनागेलोर, थाना बासागुडा, तहसील हवापल्ली, जिला बीजापुर (छग)।
- नवीन नुप्पो उर्फ हिडमा, पिता नंगा, माता बीमे, उम्र 30, निवासी बोडकेल, तहसील कोंटा (जगरगुंडा), जिला सुकमा (छग)।
- जयशीला उर्फ ललीता ओयम, पिता समलु, माता देवे, उम्र 26, निवासी तरैम, थाना बासागुडा, तहसील हवापल्ली, जिला बीजापुर (छग)।
- विक्रम उर्फ हिडमा वट्टी, पिता तकमा, माता पीसे, उम्र 30, निवासी मडपे दुल्लोड, थाना चिंता गुफा, जिला सुकमा (छग)।
- जरिना उर्फ जोगी मुसाक, पिता अंदल, माता कोशी, जाति गोंड (मुडिया), निवासी मुरंगा, थाना गंगलुर, जिला बीजापुर (छग)।
- समर उर्फ समारू उर्फ राजु अतरम, पिता सन्नु, माता सुमरी, उम्र 32, निवासी इंड्री, तहसील बैरमगढ़, जिला बीजापुर (छग)।


