सार
यह तस्वीर मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहली के चांदपुर की है। यहां चैत्र नवरात्रि में एक भक्त मां के लिए इस तरह की कठोर तपस्या कर रहा है। ये हैं कमलेश कुर्मी, जिन्होंने एक आसन(कुर्सी) पर बैठकर शरीर पर जवारे बोये हैं।
भोपाल. यह तस्वीर मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहली के चांदपुर की है। यहां चैत्र नवरात्रि में एक भक्त मां के लिए इस तरह की कठोर तपस्या कर रहा है। यह मामला मीडिया की सुर्खियों में है। ये हैं कमलेश कुर्मी, जिन्होंने एक आसन(कुर्सी) पर बैठकर शरीर पर जवारे बोये हैं। यही नहीं, उन्होंने पूरे नवरात्र यानी नौ दिनों तक अन्न-जल और अपनी दैनिक दिनचर्या का त्याग करने का संकल्प लिया था। कमलेश ने घर पर देवी मां की स्थापना की है। वे मूर्ति के बगल में आसन जमाए बैठे हैं।
दिन में केवल 2 चम्मच पानी और 2 चम्मच दही खा रहे, पढ़िए 8 बड़ी बातें
1.32 साल के कमलेश ने शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर जवारे बो रखे हैं। लिहाजा वे उठ भी नहीं सकते।
2. पूरे दिन वे केवल दो चम्मच पानी और इतना ही दही ले रहे हैं। कमलेश की इस कठिन तपस्या को देखकर उनके यहां भक्तों की भीड़ लगी है।
3. कमलेश बताते हैं कि इस कठिन तपस्या के लिए उन्होंने 15 दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। यानी नवरात्र से 15 दिन पहले ही अन्न-जल का त्याग किर दिया था।
4. कमलेश ने देवी मां की मूर्ति भी खुद बनाई है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन देवी मां की स्थापना करके शरीर पर जवारे बोये।
5. बता दें कि बुंदेलखंड में नवरात्र पर मंदिरों और घरों में जवारों की स्थापना करने की अनूठी आस्था चली आ रही है। जवारों को खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि अगर जवारे अच्छे से उगे, तो फसल अच्छी होती है।
6. कमलेश बताते हैं कि पिछली नवरात्र पर उन्होंने लेटकर तपस्या की थी। कमलेश मूलत: देवरी ब्लॉग के सुना गांव से है, लेकिन चांदपुर में वे अपने गुरु भाई धर्मेंद्र विश्वकर्मा के यहां यह तपस्या कर रहे हैं।
7. कमलेश एक मूर्तिकार हैं। लिहाजा वे हर साल नवरात्र पर खुद मां की प्रतिमा तैयार करते हैं। उनकी भक्ति आसपास के इलाकों में चर्चा का विषय रहती है।
8. पिछले नवरात्र वे पूरे 9 दिन लेटे रहे थे। शरीर पर जवारे बो रखे थे। बुंदेलखंड में नवरात्र पर ऐसे आयोजन होते रहते हैं।
यह भी पढ़ें