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फिल्मी ड्रामे से कम नहीं था नवनीत राणा का नामांकन, घड़ी की सुई पर थी सबकी नजर तभी आई गुड न्यूज
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अमरावती में दूसरे चरण में चुनाव हो रहे हैं। नामांकन की आखिरी तारीख 4 अप्रैल थी। दोपहर बाद तक नामांकन होना था। नवनीत कौर राणा ने अमरावती के दशहरा मैदान में रैली की। रैली में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस सहित भाजपा के कई बड़े नेता शामिल हुए। हजारों की संख्या में लोग जुटे।
रैली में नेता मंच से भाषण दे रहे थे दूसरी ओर सबकी नजर घड़ी की सूई पर भी लगी थी। नवनीत राणा की उम्मीदवारी का भाग्य अधर में लटका था। उनके जाति प्रमाण पत्र मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी। सबको फैसले का इंतजार था।
सुप्रीम कोर्ट में नवनीत राणा की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में राणा ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 8 जून 2021 को दिए आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था कि राणा ने 'मोची' जाति प्रमाण पत्र फर्जी डॉक्यूमेंट्स लगाकर बनवाया है। कोर्ट ने उनके जाति प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया था। इसके साथ ही 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था।
2019 के लोकसभा चुनाव में नवनीत राणा अमरावती सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरीं थी। अमरावती अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। नवनीत द्वारा लगाए गए जाति प्रमाण पत्र को चुनाव आयोग की स्क्रूटनी कमेटी ने पास कर दिया था।
दोपहर 11:58 बजे सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेके माहेश्वरी और संजय करोल की पीठ ने राणा की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राणा के पक्ष में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने जाति प्रमाण पत्र पर चुनाव आयोग के जांच समिति की रिपोर्ट में हस्तक्षेप कर गलती की थी। उनका जाति प्रमाण पत्र सही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से भाजपा नेताओं को राहत मिली।
मंच पर मौजूद भाजपा नेताओं को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी मिली। इसके बाद उनकी खुशी देखते बन रही थी। राणा को जब पता चला कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया है तो उन्हें राहत मिली। फड़नवीस ने बिना समय बर्बाद किए इसे राणा के लिए बड़ी जीत घोषित कर दिया।
इसके बाद नवनीत अपने समर्थकों और भाजपा नेताओं के साथ रिटर्निंग ऑफिसर के ऑफिस में गईं और दोपहर 1:42 बजे नामांकन पत्र दाखिल किया।
नामांकन दाखिल करने के बाद राणा ने कहा, “2019 में मैं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ी थी। उस समय मैंने क्षेत्र के लिए काम नहीं किया था तब भी लोगों ने बहुत समर्थन दिया। मुझे लगता है कि यहां के लोगों को विश्वास था कि उनकी आवाज संसद में उठाई जाएगी।”