Eco-Friendly Ganesh Idols 2025: तमिलनाडु से नागपुर तक गणेश चतुर्थी की धूम! ईको-फ्रेंडली मूर्तियां, 200 साल पुरानी परंपराएं और महाराष्ट्र सरकार का POP मूर्तियों पर नियंत्रण-जानिए 2025 के सबसे खास गणेशोत्सव की पूरी कहानी!
How To Make Eco-Friendly Ganesh Idol At Home: भारत भर में गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी 2025 की तैयारियां धूमधाम से शुरू हो चुकी हैं। इस बार की खास बात है-पर्यावरण के अनुकूल गणेश प्रतिमाओं की बढ़ती मांग और सदियों पुरानी परंपराओं का आधुनिक स्वरूप। जहां तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में शिल्पकार प्राकृतिक मिट्टी से सुंदर प्रतिमाओं का निर्माण कर रहे हैं, वहीं महाराष्ट्र के नागपुर में ऐतिहासिक चितार ओली बाजार अपनी 200 साल पुरानी विरासत को जीवित रखते हुए पारंपरिक गणेश मूर्तियाँ बना रहा है।
क्या चितार ओली की मूर्तियों में छिपा है इतिहास का जीवंत रहस्य?
चितार ओली, जिसका नाम मराठी शब्द "चित्रकार" से निकला है, बोंस्ले युग से अस्तित्व में है। यहां के मूर्तिकार पीढ़ियों से गणेश और दुर्गा की मूर्तियों को हाथों से बनाते और रंगते आए हैं। सचिन गायकवाड़, जो इस बाजार के प्रमुख कलाकारों में से एक हैं, बताते हैं कि उनका परिवार 200 वर्षों से इस परंपरा को जीवित रखे हुए है। बाजार की चित्रकारी शैली विशिष्ट है और हर मूर्ति में एक अनकही कहानी छिपी होती है।

क्या अब POP मूर्तियाँ विसर्जन के लिए सिर्फ कृत्रिम तालाबों तक सीमित रहेंगी?
22 जुलाई 2025 को महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया, जिसके अनुसार अब सभी घरेलू गणपति प्रतिमाओं का विसर्जन कृत्रिम तालाबों में किया जाएगा। हालांकि, गणेश मंडलों की विशाल मूर्तियाँ अब भी समुद्र में विसर्जित की जा सकेंगी, बशर्ते वह परंपरा 100 वर्षों से अधिक पुरानी हो। राज्य सरकार ने POP मूर्तियों से प्रदूषण रोकने के लिए कई ठोस उपायों की घोषणा की है।
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अब सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक क्रांति भी बन चुकी है गणेश चतुर्थी
10 जुलाई 2025 को, महाराष्ट्र सरकार ने सार्वजनिक गणेशोत्सव को आधिकारिक रूप से "महाराष्ट्र राज्य महोत्सव" घोषित कर दिया। मंत्री आशीष शेलार ने विधानसभा में बताया कि 1893 में लोकमान्य तिलक द्वारा शुरू किया गया यह उत्सव न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि राष्ट्रीयता, भाषा गौरव और स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़ा रहा है।
गणेश चतुर्थी 2025 में कैसी दिखेगी आस्था और पर्यावरण की साझेदारी?
देशभर में लोग पर्यावरण के प्रति जागरूकता दिखा रहे हैं। तिरुचिरापल्ली जैसे क्षेत्रों में मिट्टी, हल्दी और प्राकृतिक रंगों से मूर्तियाँ बनाकर एक नई शुरुआत की जा रही है। इससे न केवल नदियों की रक्षा होगी, बल्कि धार्मिक आस्था भी सुरक्षित रहेगी।

विनायक चतुर्थी 2025 क्यो हैं खास?
जैसे-जैसे गणेश चतुर्थी नज़दीक आ रही है, बाजारों की चहल-पहल बढ़ रही है, पंडालों की सजावट शुरू हो चुकी है और लोगों के दिलों में उत्साह चरम पर है। इस साल का उत्सव होगा परंपरा और नवाचार का अद्भुत संगम।
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