अमृतसर के रंजीत एवेन्यू में डेवलपमेंट फंड के कथित दुरुपयोग के मामले में विजिलेंस SSP लखबीर सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है। इंटरनल जांच में वित्तीय अनियमितताओं के सबूत मिलने के बाद सोशल एक्टिविस्ट मनदीप मन्ना पर भी FIR दर्ज की गई है। जांच जारी है। 

Amritsar Vigilance SSP Suspended: अमृतसर में विकास के नाम पर हुए एक कथित घोटाले ने पूरे पंजाब प्रशासन को हिला कर रख दिया है। जिस अधिकारी पर भ्रष्टाचार रोकने की जिम्मेदारी थी, वही अब खुद जांच के घेरे में आ गया है। पंजाब सरकार ने अमृतसर विजिलेंस SSP लखबीर सिंह को सस्पेंड कर दिया है, जबकि सोशल एक्टिविस्ट मनदीप मन्ना के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई है। मामला रंजीत एवेन्यू डेवलपमेंट फंड से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब सरकार बार-बार पारदर्शिता और ईमानदारी की बात कर रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई विकास के नाम पर सरकारी फंड का गलत इस्तेमाल हुआ?

विकास फंड कहां खर्च हुआ, और कहां गड़बड़ी हुई?

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, अमृतसर के रंजीत एवेन्यू इलाके में सड़कों, नालियों, इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य विकास कार्यों के लिए फंड जारी किया गया था। लेकिन जब जमीनी हकीकत सामने आई, तो कई काम अधूरे पाए गए। कहीं घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल हुआ, तो कहीं काम शुरू ही नहीं हुआ। स्थानीय लोगों की शिकायतों के बाद मामले की इंटरनल जांच कराई गई, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर संकेत मिले।

विजिलेंस SSP पर ही क्यों गिरी गाज?

जांच एक सीनियर अधिकारी की निगरानी में की गई थी। रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि तत्कालीन विजिलेंस SSP लखबीर सिंह की भूमिका संदिग्ध रही। आरोप है कि उन्होंने फंड के सही इस्तेमाल की निगरानी नहीं की या फिर जानबूझकर आंखें मूंदे रखीं। जांच रिपोर्ट सामने आते ही पंजाब सरकार ने बिना देरी किए SSP को सस्पेंड करने का फैसला लिया।

सोशल एक्टिविस्ट मनदीप मन्ना की भूमिका क्या है?

इस पूरे मामले में सोशल एक्टिविस्ट मनदीप मन्ना का नाम सामने आना कई लोगों के लिए चौंकाने वाला है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांच में ऐसे सबूत मिले हैं जो यह इशारा करते हैं कि फंड के इस्तेमाल में उनकी भी भूमिका हो सकती है। इसी आधार पर उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई है।

क्या और बड़े नाम आएंगे सामने?

अधिकारियों का कहना है कि यह जांच अभी शुरुआती चरण में है। फंड की पूरी राशि कहां गई, किसे फायदा हुआ और कौन-कौन लोग इसमें शामिल थे, इसकी पड़ताल की जा रही है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में और अधिकारियों या ठेकेदारों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

सरकार का सख्त संदेश या मजबूरी?

इस मामले में तेज कार्रवाई करके पंजाब सरकार ने यह संकेत जरूर दिया है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त है। अमृतसर डेवलपमेंट फंड घोटाला अब सिर्फ एक प्रशासनिक मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह सरकारी सिस्टम की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल बन चुका है।