सार

अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को शिव मंदिर बताने का दावा जोर पकड़ रहा है। दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन ने बयान देकर ऐतिहासिक तथ्यों को सामने रखा है। पढ़ें पूरा मामला।

अजमेर। अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा पूरे देश में तूल पकड़े हुए हैं। इस मामले को लेकर कांग्रेस और भाजपा के नेता सहित अलग-अलग धर्मगुरु बयान दे रहे हैं। इस बीच अब पहली बार दरगाह दीवान का बयान सामने आया है।

दरगाह का इतिहास 800 साल पुराना: जैनुल आबेदीन

आज दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि इस दरगाह का इतिहास 800 साल पुराना है। पुराने जमाने में यहां सब कुछ कच्चा था। जब गरीब नवाज तशरीफ लाए, उस जमाने में यह कच्चा मैदान था। अब आप खुद इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस वक्त यहां कब्र बनी होगी तो वह कब्र भी कच्ची ही रही होगी।

द प्लेस आफ वरशिप एक्ट का दिया हवाला

करीब 150 साल तक आपका मजार कच्चा रहा। वहां भी बिल्कुल कंस्ट्रक्शन नहीं हुआ तो उसके अंदर मंदिर कैसे आ सकता है। दीवान ने कहा कि द प्लेस आफ वरशिप 1991 एक्ट का क्षेत्र साफ है। जिसमें 15 अगस्त 1947 को इंडिया के अंदर जितने भी धार्मिक स्थल हैं, उन्हें वैसा ही रखने के आदेश दिए गए थे।

किसी को नोटिस न देने का आरोप

वहीं यदि गवर्नमेंट बॉडी पर कोई केस होता है तो उससे पहले नोटिस भी देना पड़ता है। लेकिन किसी भी पार्टी को नोटिस नहीं दिया गया। इसके साथ ही ख्वाजा साहब के वंशज को भी पार्टी नहीं बनाया गया। सरकार खुद अपने लिखे हुए को थूक से चाट नहीं सकती।

कहा, हम 30 करोड़, हमे दबाना ठीक नहीं?

दुर्गा दीवान ने कहा कि अब हम भी 30 करोड़ हैं। हमें दबाने की कोशिश सही नहीं है। जिन लोगों ने दावा किया है, पहले उनका बैकग्राउंड जानना जरूरी है। वह तो खुद ही क्रिमिनल है। कोर्ट में उनके द्वारा दावा किया गया और उसे एक्सेप्ट कर लिया गया। पार्टी भी तीन लोगों को बनाया गया। ASI का तो कोई लेना देना ही नहीं है।