सार

राजस्थान के सीकर जिले में बाबा खाटू श्याम मंदिर में मेला चल रहा है। जहां रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इन भक्तों को कोई परेशानी नहीं हो इसलिए ऐसी हाईटेक मशीनें रास्ते में लगाई हैं। जिन पर बैठते ही सारी थकान दूर हो जाएगी।

 

 

सीकर. राजस्थान ही नहीं बल्कि देश विख्यात बाबा खाटू श्याम का मेला इन दिनों चल रहा है प्रोग्राम 22 फरवरी से शुरू हुए इस मेले में अब तक करीब लाखों श्रद्धालु तो दर्शन कर चुके हैं। मेला 4 मार्च तक चलेगा। हालांकि इस बार खाटू में डीजे पर रोक लगाई गई है। ऐसे में जगह-जगह भंडारों में ही लोग कीर्तन रहे हैं। राजधानी जयपुर से लेकर खाटू तक जगह जगह अलग-अलग भंडारे लगे हुए हैं। लेकिन इसी बीच एक अनोखा भंडारा भी लगा है। जिसमें कुछ मशीनें लगी हुई है। इन मशीनों पर बैठते ही 2 मिनट में श्रद्धालुओं की पूरी थकान दूर हो जाती है। इस भंडारे को चला रहे हैं हरियाणा के रहने वाले ड्राई फ्रूट कारोबारी लक्ष्मी सिंघानिया।

बाबा खाटू श्याम के रास्ते हाईटेक मशीनों से श्रद्धालुओं की सेवा

यह भंडारा कोई यूं ही नहीं शुरू हुआ। इसके पीछे एक अलग ही कहानी है। दरअसल आज के करीब 15 साल पहले लक्ष्मी सिंघानिया अपने परिवार के साथ खाटू श्याम के दर्शनों के लिए पदयात्रा कर रहे थे। इस दौरान वह रींगस से खाटू तक पदयात्रा कर रहे थे। इसी दौरान खाटू श्याम से करीब 3 किलोमीटर पहले अचानक उनके पैर दर्द करने लगे। ऐसे में उन्होंने सोचा कि अब उनसे आगे नहीं चला जाएगा। श्री लक्ष्मी के मन में ख्याल आया कि यदि सभी श्रद्धालु ऐसा सोच ले तो फिर बाबा के दर्शन करने जाएगा कौन। जैसे तैसे लक्ष्मी सिंघानिया ने बाबा श्याम के दर्शन किए और फिर भक्तों की थकान दूर करने के लिए एक अलग ही आईडिया सोचा।

एक्यूप्रेशर मशीन से लेकर व्हीलचेयर तक की मशीन

लक्ष्मी सिंघानिया ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सबसे पहले तो खाटू कस्बे से करीब 3 किलोमीटर पहले रींगस रोड पर एक जमीन खरीदी।यहां एक धर्मशाला का निर्माण करवाया जिसे नाम दिया श्याम चरण । इसके बाद श्रद्धालुओं की थकावट दूर करने के लिए कई अलग-अलग मशीनें खरीदी। जिनमें एक्यूप्रेशर मशीन से लेकर व्हीलचेयर तक की मशीन है।किसी से पैरों के दर्द को राहत मिलती है तो किसी मशीन से पूरी बॉडी के दर्द को। यदि कोई पांच से 7 मिनट इन मशीनों पर बैठ जाए तो उनकी पूरी थकान दूर हो जाती है। करीब डेढ़ सौ लोग इस भंडारे में सेवा करते हैं।