MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • States
  • Rajasthan
  • मां ने मिट्टी के बर्तन बनाए, पिता ने ट्रक चलाया...अब बेटा आखिरी चांस में बना IAS, घर पर लाइट तक नहीं थी

मां ने मिट्टी के बर्तन बनाए, पिता ने ट्रक चलाया...अब बेटा आखिरी चांस में बना IAS, घर पर लाइट तक नहीं थी

 जज्बा और जुनून हो तो इंसान को कामयाब बनने से कोई नहीं रोक सकता है। ऐसी ही एक कहानी राजस्थान के ही नागौर जिले के रहने वाले पवन कुमार की है। जिसके पिता ट्रक ड्राइवर थे और मां मिट्टी के बर्तन बनाती थीं। इतनी परेशानियों के बाद भी बेटा IAS बन गया।

2 Min read
Arvind Raghuwanshi
Published : Mar 05 2023, 11:20 AM IST| Updated : Mar 05 2023, 11:21 AM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
15
Image Credit : GOOGLE

जयपुर. जिस बच्चे के पिता ट्रक चलाने का काम करते हो और मां पूरे दिन बैठकर मिट्टी के बर्तन बनाती हो उसके बेटे की सफलता का अंदाजा हम यहां तक लगा सकते हैं कि वह डॉक्टर या इंजीनियर बन गया हो लेकिन राजस्थान में एक ऐसा आईएएस अफसर है जिसकी संघर्ष की कहानी का आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के ही नागौर जिले के रहने वाले आईएएस पवन की। जो नागौर के सोमना गांव के रहने वाले हैं...

25
Image Credit : GOOGLE

आपको बता दें कि आईएएस पवन कुमार के पिता ट्रक चलाने और मां मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करती थी। पांचवी क्लास तक की पढ़ाई तो पवन ने अपने गांव से ही पूरी की। लेकिन उसके बाद बेटे की अच्छी पढ़ाई के लिए पिता नागौर शहर में आ गए और यहां उन्होंने ट्रक चलाना शुरु किया और फिर पवन का दाखिला एक प्राइवेट स्कूल में करवा कर उसकी पढ़ाई करवाई। स्कूलिंग पूरी होने के बाद पवन कुमार जयपुर की डेंटल कॉलेज से डिग्री ली।

35
Image Credit : GOOGLE

डिग्री लेने के बाद लगातार पवन ने मेहनत करना शुरू किया। सबसे पहले वह बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट की पोस्ट पर नौकरी लगे और इसके बाद राजस्थान प्रशासनिक सेवा में। लेकिन उनका लक्ष्य तो था और बेहतर करने का सपना। इसके बाद उन्होंने साल 2015 में पहली बार आरएएस एग्जाम दिया तो उनके 568 वीं रैंक आई और फिर दूसरी बार में साल 2018 में 308 वी रैंक आई। इसके बाद 2021 में उन्होंने यूपीएससी का एग्जाम  दिया। और 551 वीं रैंक मिली।

45
Image Credit : GOOGLE

पवन बताते हैं कि आईएएस अफसर बनने के लिए उन्हें करीब 10 साल का समय लगा। साल 2013 में उन्होंने सिविल सर्विसेस एग्जाम में लेना शुरू किया ओबीसी कैंडिडेट को एग्जाम देने के लिए कुल 9 मौके मिलते हैं। पवन का सिलेक्शन आखिरी चांस में हुआ। हालांकि हर बार उन्होंने प्रीवियस एग्जाम तो पास किया लेकिन इंटरव्यू तक नहीं पहुंचे।

55
Image Credit : GOOGLE

हालांकि पवन का कहना है कि भारत में हिंदी का प्रचलन लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन यूपीएससी एग्जाम में यह एक बड़ी बाधा है क्योंकि इसमें जो हिंदी माध्यम में हिस्सा लेता है वह धारा के विपरीत चलता है। एग्जाम में पहले जहां 5 %  हिंदी मीडियम स्टूडेंट्स पास हुआ करते थे वह अब केवल 2% तक रह गए हैं। पवन ने कहा कि भले ही हमें हिंदी अच्छी लगती हो लेकिन अन्य भाषाओं पर भी हमारी पकड़ होनी चाहिए।

About the Author

AR
Arvind Raghuwanshi
अरविंद रघुवंशी। 2012 से पत्रकारिता जगत में कार्यरत हैं, 13 साल का अनुभव। 2019 से एशियानेट न्यूज हिंदी में बतौर सीनियर चीफ सब एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। हाइपर लोकल या कह लें स्टेट टीम को ये लीड कर रहे हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (MCU) से मास्टर ऑफ जर्नलिज्म (MJ) किया है। नेशनल, पॉलिटिक्स, क्राइम और फीचर स्टोरीज में लिखना पसंद है। दैनिक भास्कर के डिजिटल विंग, राजस्थान पत्रिका, राष्ट्रीय हिंदे मेल जैसे मीडिया संस्थानों में भी ये काम कर चुके हैं।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved