सार
भरतपुर (राजस्थान). भरतपुर के रहने वाले सूबेदार सोनेदर सिंह की असमय मृत्यु ने पूरे क्षेत्र को गमगीन कर दिया। भारतीय सेना के आर्म्ड कोर यूनिट 1 हॉर्स में सूबेदार पद पर तैनात सोनेदर सिंह की ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई। वे अपने रिटायरमेंट से केवल आठ दिन दूर थे। परिवार उनके रिटायरमेंट की पार्टी करने की तैयारी कर रहा था। लेकिन जब उनकी लाश घर पहुंची तो सारी खुशियां मातम में बदल गईं।
सैनिक के सीने में उठा दर्द और निकल गए प्राण
12 दिसंबर को पटियाला में ड्यूटी के दौरान अचानक उनके सीने में तेज दर्द उठा। साथी सैनिकों ने उन्हें तुरंत आर्मी हॉस्पिटल पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उनकी स्थिति में सुधार देखा गया। हालांकि, कुछ ही समय बाद दुबारा सीने में दर्द शुरू हुआ, और उन्हें दोबारा अस्पताल ले जाया गया। उपचार के दौरान रात करीब 10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
सैन्य रीति-रिवाजों के साथ अंतिम विदाई
शुक्रवार रात उनका पार्थिव शरीर पटियाला से भरतपुर के लिए रवाना किया गया और शनिवार सुबह उनके पैतृक स्थान पर पहुंचा। भरतपुर के सुभाष नगर स्थित श्मशान घाट पर सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। सेना के जवानों ने उन्हें सलामी दी, और पूरे सैन्य रीति-रिवाजों के साथ अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान माहौल बेहद भावुक हो गया।
जब 10 वर्षीय बेटे ने पिता को मुखाग्नि दी तो हर कोई रो पड़ा
सबसे मार्मिक दृश्य तब देखने को मिला जब सोनेदर सिंह के 10 वर्षीय बेटे ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम थीं। उनका परिवार इस कठिन समय में बेहद टूट गया है। उनकी पत्नी, 16 वर्षीय बेटी और 10 वर्षीय बेटा अब अपने पिता की यादों के सहारे आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे।
सूबेदार के स्वागत का जश्न था और वो अलविदा कह गया
सूबेदार सोनेदर सिंह एक अनुशासित सैनिक और जिम्मेदार पिता थे। उनके पिता भी भारतीय सेना में अपनी सेवा दे चुके थे, और सोनेदर सिंह ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। उनकी कर्तव्यनिष्ठा और सेवा हमेशा याद की जाएगी। परिवार ने बताया शुक्रवार देर रात बॉडी को गांव लाया जा सका और उसके बाद आज शनिवार करीब 10:00 बजे सूबेदार का अंतिम संस्कार किया गया है । परिवार सूबेदार कके स्वागत के लिए बड़े जश्न की तैयारी कर रहा था। रिटायरमेंट पार्टी पर कई लोगों को बुलाया जाना था। लेकिन किसे पता था अपनी रिटायरमेंट पार्टी में सूबेदार पहुंचेंगे तो सही, लेकिन लाश बनकर। परिवार में कोहराम बचा हुआ है।
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