सार

राजस्थान में विधानसभा चुनाव की वोटिंग के लिए बहुत कम समय बचा है। लेकिन बीजेपी वसुंधरा राजे को साइड लाइन करने में लगी है। भाजपा को बिना राजे के चुनाव जीतना आसान नहीं है। वह प्रदेश की करीब 60 सीटों पर सीधा प्रभाव डालती हैं।

जयपुर. राजस्थान में 2 महीने में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की गुटबाजी जग जाहिर है। पार्टी में पिछले करीब 2 सालों से वसुंधरा राजे को नजरअंदाज किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ वसुंधरा राजे भी पार्टी लाइन से साइड चलकर खुद के व्यक्तिगत जनसंपर्क कार्यक्रम कर रही है। अब भले ही भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में वसुंधरा राजे को अपने साथ नही ले। तो खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को ही भुगतना पड़ेगा।

इसलिए बीजेपी को वसुंधरा राजे को साथ रखना जरूरी

कई ऐसी बातें हैं जिनके चलते पार्टी को वसुंधरा राजे को साथ रखना जरूरी है। सबसे पहले बात वसुंधरा के राजनीतिक अनुभव की। वसुंधरा राजे राजनीति में पिछले करीब 37 सालों से एक्टिव है। जिनके नेतृत्व में न केवल भाजपा की सरकार बनी बल्कि उन्होंने केंद्र में भी कई बड़े पदों की जिम्मेदारी संभाली।

सीएम चेहरे में वसुंधरा 36 प्रतिशत लोगों की पसंद

वहीं बीते दिनों जब सी वोटर सर्वे हुआ तो बीजेपी की ओर से करीब 36 प्रतिशत लोगों का यही कहना था कि वसुंधरा राजे ही राजस्थान में सीएम पद के लिए प्रभावी चेहरा है। राजे के नेतृत्व में साल 2018 में भले ही भाजपा के सरकार नहीं बनी हो लेकिन 200 में से 73 हासिल की गई थी। इसके साथ ही वसुंधरा राजे की पार्टी के शीर्ष नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक व्यक्तिगत पकड़ है। झालावाड़ जैसे इलाके में आज भी राजे का ही बोलबाला है।

60 सीटों पर सीधा प्रभाव रखती हैं वसुंधरा राजे

वहीं वसुंधरा राजे आज भी राजस्थान में महिला वोटर की सबसे पसंदीदा नेता है क्योंकि उन्होंने सत्ता में रहते हुए महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की। ऐसे में न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम महिलाओं ने भी वसुंधरा को वोट दिया। आपको बता दे कि जिस वसुंधरा राजे को पार्टी नजरअंदाज कर रही है वह 60 सीटों पर अपना सीधा प्रभाव रखती है।