सार

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक बयान से शिक्षक नाराज हैं। सीएम ने हाल ही बयान दिया है कि ट्रांसफर नीति बनने तक किसी शिक्षक के तबादले नहीं होंगे। यह बयान आने वाले चुनाव को देखते हुए गहलोत सरकार के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

जयपुर। राजस्थान सरकार में कई विभाग ऐसे हैं जिनमें कर्मचारियों की संख्या लाखों में है। सबसे बड़ा विभाग है शिक्षा विभाग जिसमें करीब चार लाख से भी ज्यादा स्टाफ कार्यरत हैं। ऐसे में सरकार का कोई भी फैसला बड़े स्तर पर शिक्षकों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। उसपर भी बात जब शिक्षकों के तबादलों को लेकर हो खास हो जाती है। 

तबादला नीति बनने तक शिक्षकों के ट्रांसफर नहीं
सरकार ने तीन साल से तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं किए हैं, अब तबादलों को लेकर सीएम गहलोत ने बड़ा बयान दिया है। हाल ही में एक कार्यक्रम में आए मुख्यमंत्री गहलोत ने तीन लाख से ज्यादा शिक्षकों की उम्मीद पर पानी फेर दिया है। सीएम ने कहा कि जब तब तृतीय श्रेणी शिक्षकों की तबादला नीति नहीं बनती है तब तक ट्रांसफर होने का सवाल ही नहीं है। 

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ढाई साल पहले लिया गया था शिक्षकों से आवेदन
दरअसल करीब ढाई से तीन साल पहले जब कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, शिक्षा मंत्री थे। उस समय उन्होनें तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों को लेकर ऑन लाइन आवेदन मांगे थे। इन आवेदनों के बाद जल्द तबादले की लिस्ट जारी करने की बात भी कही गई थी, लेकिन उसके बाद से तीन साल बीत गए। अभी तक किसी भी शिक्षक का तबादला नहीं किया गया है। अब शिक्षकों का कहना है कि कई अध्यापकों ने जायज कारणों से तबादले के लिए आवेदन किए थे लेकिन सरकार कुछ करने को तैयार ही नहीं है। ऐसे में शिक्षक भी परेशान हैं।

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आने वाले चुनाव में भारी पड़ सकती है शिक्षकों की नाराजगी
इन तीन लाख शिक्षकों के तबादले के लिए सरकार जल्द ही कोई नीति नहीं लेकर आती है तो इसका खामियाजा गहलोत सरकार को आने वाले चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। वर्तमान कार्यकाल से पहले वाले कार्यकाल में सीएम को जब हार मिली थी तो उन्होने कहा था कि उन्होंने सरकारी कर्मचारियों को नाराज कर दिया और इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। ऐसे में अब फिर वही स्थिति सामने आ रही है।