सार

परिवार पशुओं का दाना बेचकर गुजारा करता तो पिता ट्रक ड्राइवर, लेकिन बेटे को मिली इतनी सफलताएं की हर कोई कर रहा सलाम। उसे एम्स से दिल्ली जल बोर्ड, जवाहरलाल यूनिवर्सिटी से रेलवे तक की सरकारी नौकरी का ऑफर मिला है।

सीकर (राजस्थान). आमतौर पर हम ऐसे कई किस्से सुनते हैं जब कोई गरीब मां-बाप का बेटा मेहनत करके नौकरी लग जाता है या फिर परीक्षा में टॉप कर देता है लेकिन राजस्थान के सीकर जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां का रहने वाला एक युवक एक महीने में ही आधा दर्जन से ज्यादा बार सरकारी नौकरी लग गया। अब वह वर्तमान में ऋषिकेश में एम्स में ऑपरेशन इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिक पद पर ड्यूटी ज्वाइन करने वाला है।

पशुओं की खल चूरी बेचकर परिवार करता गुजारा

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सीकर जिले के बाजोर गांव निवासी विकास कुमार लूना की। जिसकी परिवार की आर्थिक स्थिति हमेशा से ज्यादा अच्छी नहीं रही ऐसे में उसने अपने घर चलाने के लिए गांव में ही एक छोटे से किराना की दुकान और पशुओं के खाने के खल चूरी बेचकर परिवार का गुजारा करना शुरू कर दिया।

पिता चलाते हैं ट्रक

विकास के पिता सीकर में एक ठेकेदार के यहां ट्रक चलाने का काम करते हैं। जबकि परिवार में बड़ा भाई विदेश से कमाई करके लौटा है। विकास बताते हैं कि 2020 में उन्होंने गांव में ही श्यामपुरा रोड पर दुकान खोली थी। इसके बाद दुकान में बैठकर ही उसने सरकारी नौकरी की तैयारी करना शुरू किया। किसी टॉपिक में कोई कंफ्यूजन होता तो वह इंटरनेट पर उस बारे में रिसर्च कर लेता।

एम्स से दिल्ली जल बोर्ड, जवाहरलाल यूनिवर्सिटी से रेलवे तक

विकास ने बताया कि वह एम्स भुवनेश्वर में वायरमैन, एआईआईएमएस पटना में लिफ्ट ऑपरेटर, एम्स भोपाल में लिफ्ट ऑपरेटर, दिल्ली जल बोर्ड में शिफ्ट इंचार्ज, जवाहरलाल यूनिवर्सिटी में वर्क अस्सिटेंट वायरमैन और रेलवे में ग्रुप डी में आरआरसी की नौकरी लग चुका था। लेकिन अब उसने एआईआईएमएस ऋषिकेश में ऑपरेटर इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिक के पद पर ड्यूटी ज्वाइन की है।