सार

राजस्थान सरकार ने 9वीं से 12वीं कक्षा तक के लिए अब जिला स्तर की बजाय राज्य स्तर पर एक समान पेपर कराने का फैसला लिया है। इस फैसले से जहां एक ओर परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता आने की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर कई लोग पेपर लीक की आशंका जता रहे हैं।

जयपुर. राजस्थान सरकार एजुकेशन सिस्टम में बड़ा बदलाव करने जा रही है, जिसके तहत 9वीं से लेकर 12वीं तक की सभी कक्षाओं के पेपर पूरे प्रदेश में एक समान होंगे। इस नए सिस्टम के कारण जहां परीक्षा में पारदर्शिता आएगी, वहीं लोगों का कहना है कि पेपर लीक की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाएगी।

जिला स्तर पर तैयार होते हैं पेपर

राजस्थान में हमेशा देखा जाता है कि 10वीं और 12वीं की वार्षिक परीक्षा के अलावा 9वीं और 12वीं कक्षा के पेपर जिला स्तर पर ही तैयार होते हैं। स्थानीय शिक्षा विभाग के द्वारा यह काम किया जाता है। लेकिन अब राजस्थान के इस एजुकेशन सिस्टम में बड़ा बदलाव होने जा रहा है।

सरकार ने लिया बड़ा फैसला  

कक्षा 9 से 12वीं तक के स्कूलों में आयोजित होने वाली अर्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षा के पेपर प्रदेश स्तर पर आम होंगे। आपको बता दें, पूर्व की कांग्रेस सरकार के द्वारा यह निर्णय लिया गया था। जिसे अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार भी एजुकेशन सिस्टम में लागू करने जा रही है। राजस्थान में पहले कक्षा 9 और 11वीं की वार्षिक और अद्वार्षिक और 10वीं 12वीं की बोर्ड कक्षाओं की अद्वार्षिक परीक्षाओं के पेपर जिला स्तर पर प्रिंट होते और उनके वितरण का काम किया जाता था। लेकिन अब प्रदेश स्तर पर पेपर तैयार होंगे। ऐसे में राजस्थान में इन कक्षाओं के लिए कॉमन पेपर होगा।

प्रश्नपत्र योजना के तहत होती है परीक्षा

राजस्थान में यह परीक्षा समान प्रश्नपत्र योजना के तहत होती है। प्रदेश में वर्तमान में 34500 सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में करीब 40 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स है। हालांकि कई लोग सरकार के इस निर्णय का विरोध भी कर रहे हैं। जिनका कहना है कि ऐसा करना गोपनीयता के लिहाज से ठीक नहीं है।

लंबी होगी परीक्षा की प्रक्रिया

इसका सबसे बड़ा नुकसान तो यह होगा की परीक्षा की प्रक्रिया काफी लंबी होगी। वहीं दूसरी तरफ सबसे बड़ा नुकसान यह होगा कि यदि प्रदेश में कहीं भी पेपर लीक की घटना सामने आती है तो केवल क्षेत्र विशेष नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में ही पेपर को रद्द करना होगा। आपको बता दे कि इस संबंध में शिक्षा विभाग के निदेशक में 6 सितंबर को आदेश निकाला था।

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