सार
राजस्थान के जयपुर शहर में सीएम गहलोत से फिर एक चूक हो गई। दरअसल एक निजी शिक्षण संस्थान में मुख्यमंत्री ने उल्टा तिरंगा झंडा फहरा दिया। इस पूरे काम में गलती झंडा लगाने वाले की थी लेकिन सोशल मीडिया पर सीएम की हो रही खिचांई। अब कर्मी की हो रही तलाश।
जयपुर ( jaipur news). मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दिन इन दिनों सही नहीं चल रहे हैं । फिर चाहे दिल्ली की खबरें हो या राजस्थान से आने वाले विवाद ...। मुख्यमंत्री का एक पैर दिल्ली तो दूसरा पैर राजस्थान में है । इस बीच एक और खबर आ रही है जिसने मुख्यमंत्री को सोशल मीडिया पर फिर से सुर्खियों में ला दिया है। हालांकि गलती एक कार्मिक की है। लेकिन सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री की खिंचाई हो रही है । यह पूरा मामला राजस्थान के टोंक जिले में स्थित एक निजी शिक्षण संस्थान का है । शिक्षण संस्थान का नाम वनस्थली विद्यापीठ है।
निजी शिक्षण संस्थान के एनुअल फंक्शन के दौरान हुआ ये सब
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके साथ कुछ चुनिंदा नेता वनस्थली विद्यापीठ में हर साल होने वाले वार्षिक महोत्सव में शामिल होने के लिए गए थे। वह मुख्य अतिथि थे । इस दौरान आयोजकों की ओर से उन्हें सलामी दी गई और छात्र-छात्राओं ने उनके सामने कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इससे पहले मुख्यमंत्री गहलोत ने तिरंगा फहराने की सेरेमनी की । उन्होंने तिरंगे से लगी हुई रस्सी को खींचकर तिरंगा खोला और उसके बाद सभी ने सलामी दी । इस दौरान छात्र-छात्राओं का एक समूह कदमताल करते हुए वहां से गुजरा , उन्होंने भी तिरंगे को सलामी दी ।
उल्टा फहरा दिया गया तिरंगा
लेकिन कुछ ही देर में पता चल गया कि तिरंगा उल्टा फहरा दिया गया है । आनन-फानन में तिरंगा फिर से उतारा गया और उसे फिर से सीधा किया गया, हालांकि दोबारा तिरंगा मुख्यमंत्री द्वारा नहीं फहराया गया। आयोजकों की ओर से हुई इस भूल को सोशल मीडिया पर जमकर वायरल किया जा रहा है । इस बारे में फिलहाल किसी भी तरह के एक्शन की बात सामने नहीं आई है । इससे मानवीय भूल बताया जा रहा है ।
वायरल हो रहा वीडियो
लेकिन मुख्यमंत्री जो की उल्टे तिरंगे को सलामी दे रहे हैं , उनके वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने भी इस मामले में किसी तरह की कोई का कोई बयान नहीं दिया है । उल्लेखनीय है कि कुछ सप्ताह पहले बजट भाषण पढ़ने के दौरान भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले साल का बजट पड़ गए थे। इस दौरान उनकी सोशल मीडिया पर जमकर खिंचाई भी हुई थी। भारतीय जनता पार्टी ने तो इसे लंबे समय तक मुद्दा बनाकर रखा था।
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