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हनुमान जी के 5 मंदिरों की चमत्कारिक कहानीः यहां के पुजारी को खुद बजरंगबली ने दिए थे दर्शन, संजीवनी बूटी से है एक मंदिर का कनेक्शन
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सबसे पहले बात जयपुर के पास सामोद बालाजी की
जयपुर के निकट सामोद बालाजी का मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इस मंदिर में जाने के लिए श्रद्धालु को करीब एक हजार से ज्यादा सीढ़ियां चढ़ने पड़ती है। यह मंदिर करीब 700 साल पहले बना हुआ है। भले ही इस मंदिर में ऊंचाई ज्यादा क्यों ना हो लेकिन इसके बावजूद भी भक्त यहां सवामणी जैसे आयोजन भी करते हैं। इसके अलावा यहां सरकार ने वह भी लगाया हुआ है हालांकि वर्तमान में वह बंद पड़ा है।
पहाड़ी में स्थित खोले वाले हनुमान जी
अब बात पहाड़ी पर बने खोले के हनुमान की। यह मंदिर भी राजधानी जयपुर में बना हुआ है। जो दिल्ली जाने वाले रास्ते पर पहाड़ी की एक खोल में है। पंडित बीएम शर्मा बताते हैं कि रामायण काल के जब भगवान हनुमान संजीवनी बूटी ला रहे थे। उसी का चित्र संत निर्मल दास ने यहां पहाड़ी पर गिरा हुआ है। मंदिर में रोज हजारों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। भगवान की यही वो रूप है जो साक्षात पहाड़ चीर के निकले है।
प्रसिद्ध मेहंदीपुर बालाजी मंदिर
अब बात राजस्थान ही नहीं बल्कि देश दुनिया में प्रसिद्ध मेहंदीपुर बालाजी की। यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। जो राजस्थान के दौसा जिले में है। इस मंदिर के वीडियो आपने कई बार देखे होंगे जहां लोगों में भूत प्रेत आने के बाद उन्हें मंदिर में लाया जाता है वह यह मंदिर है। इस मंदिर की कहानी यह है कि महंत किशोरी मान के महाराज को बालाजी ने स्वयं दर्शन दिए। इसके बाद महंत ने गांव की पंडितों को बुलाया और पूरी घटना के बारे में बताया तो उसी दिन से गांव में मंदिर का निर्माण करवा दिया गया। यहां भगवान बालाजी का स्वरुप उनकी बाल्यावस्था में दिखाई देता है। इसके अलावा महंत किशोरी को ही भैरव बाबा और प्रेतराज भी दिखे उसी दिन से मंदिर में भूत प्रेत की छाया आने के बाद लोगों का इलाज किया जाता है।
चांदी की टकसाल में विराजमान काले हनुमान जी
अभी तक आपने जहां भी देखें होंगे हनुमान जी को सिंदूरी रंग का चोला ओढ़े हुए देखा होगा, लेकिन राजस्थान के जयपुर शहर में ही स्थित चांदी की टकसाल स्थित काले हनुमान जी में काले रंग विराजमान है। इस मंदिर के बारे में कथा प्रचलित है कि शिक्षा पूरी होने के बाद गुरू दक्षिणा में सूर्य द्वारा अपने पुत्र को उनके सामने लाने की बात कही। जिसको पूरा करने के चलते हनुमान जी के ऊपर शनि की वकृ दृष्टि पड़ी जिसके चलते उनका रंग काला पड़ गया। हालांकि वे शनिदेव को सूर्य के पास लेजाकर अपनी गुरू दक्षिणा पूरी की। तभी से यहां काले हनुमान जी की पूजा होने लगी।
अलवर स्थित पान्डुपोल हनुमान मंदिर
राजस्थान के अलवर जिले में भगवान हनुमान का एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान हनुमान लेटे हुए हैं। मान्यता है कि महाभारत काल के दौरान जब पांडव अज्ञातवास में थे तो वह अलवर से 60 किलोमीटर दूर सरिस्का की तरह पाए थे। यहां उन्हें आगे का रास्ता नहीं मिला तो उन्होंने पहाड़ तोड़ने की सोची। भीम ने अपने गदा से पहाड़ तोड़ दिया तो उसे घमंड होने लगा इसके बाद भगवान हनुमान एक बंदर के भेष में आए लेकिन भीम उनकी पुंछ तक को भी नहीं दिला सका। मान्यता है कि इस मंदिर में उसी दिन से भगवान हनुमान की प्रतिमा लेटे हुए हैं।
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