सार

राजस्थान की पुलिस की स्पेशल डिवीजन की एएसपी दिव्या मित्तल की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। मंगलवार शाम को जानकारी पहुंची की उनकी बेल की अर्जी को अस्वीकार कर दिया गया है। जैसे जेल में सूचना पहुंची तो एएसपी वहीं रोने लगी।

जयपुर (jaipur). एनडीपीएस के एक केस को रफा दफा करने के नाम पर दो करोड़ रुपए की घूस लेने के मामले में निलंबित कर जेल भेज दी गई आरपीएस अफसर दिव्या मित्तल की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। दिव्या मित्तल फिलहाज जेल में हैं और जेल में जब मंगलवार शाम उनके पास सूचना पहुंची कि उनको जमानत नहीं मिली है तो वे जेल में ही फूट फूट कर रोने लगी।

कोर्ट ने कैंसिल की जमानत अर्जी, निवाला तक नही गया

बताया जा रहा है कि मंगलवार शाम दिव्या ने खाना भी नहीं खाया। दिव्या के वकील ने एसीबी पर दिव्या को झूठे आरोप में फंसाने की बातें कोर्ट के सामने कहीं थीं, वहीं एसीबी के वकील ने भी कोर्ट में जमकर पैरवी की। दोनो वकीलों की सुनवाई के बाद कोर्ट का कहना था कि जांच अभी तक जारी है अभी जमानत नहीं दी जा सकती।

गिरफ्तारी के तुरंत बाद ही लगा दी जमानत अर्जी

एसीबी अफसरों ने बताया कि दिव्या की गिरफ्तारी के कुछ समय के बाद ही यानि 22 जनवरी को कोर्ट में दिव्या के वकील प्रीतम सिंह सोनी ने अग्रिम जमानत याचिका लगा दी थी। इस पर कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की। दिव्या के वकील का कहना था कि दिव्या को गलत तरह से फंसाया गया है, एसीबी ने कोर्ट में सभी सर्च दस्तावेज भी नहीं रखे हैं, ये भी नहीं बताया गया है कि दिव्या के यहां से क्या क्या मिला है। उसे जबरन फंसाया गया है। एसीबी ने अपनी शक्तियों को गलत इस्तेमाल किया है।

एएसपी का साथी अभी भी फरार

उधर एसीबी के वकीलों का कहना है कि अभी तक दिव्या की मदद करने वाला आरोपी बर्खास्त सिपाही सुमित फरार चल रहा है। वह नहीं मिला है। साथ ही दिव्या के पास से कई बरामदगी करना बाकि है, ऐसे में अगर अभी जमानत दे दी जाएगी तो केस पर बुरा असर होगा। उल्लेखनीय है कि दिव्या मित्तल जो कि अजमेर शहर में एसओजी की एएसपी थीं। उन्होनें अपने एक साथी के साथ मिलकर हरिद्वार की एक फार्मा कंपनी के मालिक से दो करोड़ रुपए की घूस मांगी थी, बाद में सौदा पचास लाख में पटा था। लेकिन इसकी सूचना एसीबी को दे दी गई थी। उसके बाद एसीबी ने यह कार्रवाई की। दिव्या को जेल भेज दिया गया और उसे उसके पद से भी निलंबित कर दिया गया। दिव्या ने अजमेर की आनासागर झील में कई सबूत फेंके हैं। उनकी बरामदकी नहीं हो सकी है।

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