सार
मूल रूप से पंजाब की रहने वाली जोधपुर की आईआईटी प्रोफेसर के साथ साइबर अपराधियों बहुत बड़ा खेल कर दिया है। उन्होंने महिला को लगातार 12 दिनों तक जाल में फंसा कर रखा और अंत में लाखों का झोल कर दिया।
जोधपुर साइबर फ्रॉड। जोधपुर में रहने वाली 35 वर्षीय महिला आईआईटी प्रोफेसर को साइबर ठगों ने 12 दिन तक डिजिटल अरेस्ट बनाए रखा। 12 लाख रुपए ठगे। पीड़िता करवड़ थाना क्षेत्र की रहने वाली है। थाना अधिकारी महेंद्र कुमार ने बताया-"अमृता पुरी नाम की महिला मूल रूप से पंजाब की रहने वाली है। उनके पास 1 अगस्त को किसी का फोन आया, जिसमें सामने वाले ने खुद को मुंबई पुलिस कर्मचारी बताया। उसने कहा कि आपका पार्सल आया है, जिसमें एमडी ड्रग्स है और डेबिट, क्रेडिट कार्ड बड़ी मात्रा में मिले हैं। इन सब से साइबर थाने का केस बनता है।"
मामले में अमृता ने पुलिस को बताया-"खुद को पुलिसकर्मी बताने वाले व्यक्ति ने ही उसका फोन कथित रूप से मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच की टीम को ट्रांसफर कर दिया। टीम में एक व्यक्ति ने खुद को साइबर अधिकारी बताया और कहा जिस तरह से आपके पार्सल में सामान मिला है। आप पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस बन सकता है। आप हमारी नजर में है। अपना मोबाइल फोन और लैपटॉप कभी बंद नहीं करेंगे नहीं तो आपके ऊपर मुकदमा दर्ज कर लिया जाएगा।
महिला को अपराधियों ने डरा कर रखा
महिला सारी बातों से डर गई। उसने ना तो अपना मोबाइल बंद किया और ना ही लैपटॉप को बंद होने दिया। दोनों को लगातार साइबर ठगों ने सर्विलांस पर रखा। इस दौरान स्काइप और अन्य डिजिटल ऐप के जरिए लगातार नजर बनाए रखा। 10 अगस्त को अमृता का सब्र जवाब दे गया तो उन्होंने कहा कि अगर इस केस को रफा करना है तो कुछ पैसा लग सकता है। प्रोफेसर इसके लिए तैयार हो गई। आरोपी इतने शातिर थे कि पीड़िता को परिवार के किसी भी सदस्य से बात तक नहीं करने दी।
जोधपुर साइबर पुलिस ने शुरू की जांच
प्रोफेसर ने 11 एवं 12 अगस्त को करीब 12 लख रुपए साइबर अपराधियों के खाते में ट्रांसफर कर दिए। रुपए मिलते ही अमृता के मोबाइल और लैपटॉप से सर्विलांस हटा लिया। तब जाकर पता चला कि उसके साथ चीटिंग हुई है। उसके बाद 13 अगस्त को इसकी सूचना जोधपुर साइबर पुलिस को दी गई, जिन्होंने जांच पड़ताल शुरू कर दी है।
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