सार

राजस्थान के जोधपुर शहर में सरहद पार कर आए हिंदुओं के घरों को जोधपुर विकास प्राधिकरण ने कार्रवाही करते हुए तोड़ दिए थे। अब मामला का पता चलने पर राजस्थान सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। और इसकी गाज विभाग के कमिश्नर पर गिरी है। उन्हें एओपी कर दिया गया है।

जोधपुर (jodhpur news). जोधपुर में पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों के मकानों को तोड़ने के मामले में राजस्थान सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। सरकार के कार्मिक विभाग ने जोधपुर विकास प्राधिकरण के कमिश्नर को एपीओ कर दिया है। आपको बता दें कि करीब 6 दिन पहले जोधपुर में यह कार्रवाई हुई थी। जब जोधपुर विकास प्राधिकरण ने पाक विस्थापित हिंदुओं के मकानों को अतिक्रमण बताते हुए तोड़ा था। इस मामले ने जब तूल पकड़ा तो प्रदेश सरकार के कार्मिक विभाग ने यह आदेश जारी किए हैं।

इलाके में पदस्थ कमिश्नर पर गिरी गाज

कार्मिक विभाग ने कमिश्नर नवनीत कुमार को एपीओ किया है। जो पिछले छह महीनों से इस पोस्ट पर थे। एपीओ रहने के दौरान उनका कार्यलय कार्मिक विभाग जयपुर में रहेगा। इससे पहले भी वह तीन बार एपीओ हो चुके हैं। हालांकि इस मामले में जोधपुर विकास प्राधिकरण लगातार अपनी सफाई दे रहा है। जिसका कहना है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने के 15 दिन पहले उन लोगों को नोटिस दे दिए गए थे। बिना किसी नोटिस के यह कोई कार्रवाई नहीं हुई।

ये है पूरा मामला

दरअसल जोधपुर शहर के चौखा गांव के 400 बीघा जमीन पर करीब 200 घर बनाए गए थे। ये घर पॉकिस्तान से विस्थापित होकर आए हिंदू परिवार थे। जेडीए ने इन घरों को अवैध बताया था क्योंकि ये सरकारी जमीन पर बिना किसी परमिशन के लिए बनाए गए थे। इसके चलते जेसीबी चलाकर (bulldozer Action) सभी घरों को तोड़ दिए गए। लोगों का आशियाना टूटने के बाद लोग खुले में रहने को मजबूर हो गए। अपनी पीड़ा बताते हुए लोगों ने कहा कि वहां भी बर्बाद हुए थे यहां आए तो यहां भी बर्बाद है। हालांकि इस घटना की जानकारी जब प्रदेश सरकार को हुई तो उन्होंने सख्त कदम उठाए है।

कई बार विवादों में रही जेडीए

आपको बता दें कि यह पहला मामला नहीं है जब जोधपुर विकास प्राधिकरण की कार्रवाई करने के बाद हंगामा हुआ हो। जब जोधपुर विकास प्राधिकरण की टीम अतिक्रमण हटाने के लिए गई तो वहां उन पर पथराव भी हुआ। फिलहाल पाक विस्थापित हिंदू पिछले 7 दिनों से खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो चुके हैं। इससे पहले जोधपुर एम्स के पास धार्मिक यानी मंदिर मूर्ति जमीन को बेचने के मामले में भी जोधपुर विकास प्राधिकरण का नाम उजागर हुआ था। इस मामले में भी तत्कालीन उपायुक्त को सस्पेंड कर दिया गया था।

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