सार
राजस्थान के तीन भाइयों की संघर्ष भरी कहानी आपको भी भावुक कर देगी। तीनों कभी मजदूरी करते थे, अब तीनों देश की सेना में तैनात हैं।
जोधपुर. राजस्थान में जब भी किसी युवा को सफलता मिलती है तो उसके पीछे संघर्ष की एक लंबी कहानी होती है। राजस्थान में ग्रामीण क्षेत्र के युवा कठिन परिस्थितियों में भी संघर्ष करते रहते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले तीन सगे भाई जोगेंद्र सिंह,रावल सिंह और नेमसिंह की है।
तीनों भाई फौज में…कभी करते थे मजदूरी
तीनों भाई ही वर्तमान में भारतीय फौज में नौकरी कर रहे हैं। इनके पिता नाहर सिंह बताते हैं कि हमेशा से परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। नाहर सिंह खुद भी काम करते थे लेकिन उन्हें जो पैसे मिलते उसमें घर चलाना काफी मुश्किल था। इसलिए उनके तीनों बेटों ने भी पढ़ाई के साथ मजदूरी करना शुरू किया।
तीनों सैनिक भाइयों की संघर्ष भरी कहानी
सबसे बड़े बेटे जोगेंद्र सिंह ने गांव में 11वीं कक्षा पास करके जोधपुर में 12वीं की पढ़ाई करते हुए काम भी किया। फिजिकल फिटनेस के लिए वह जसवंत कैंपस में दौड़ लगाता रहता। जब खुद नौकरी लग गया तब दोनों भाई रावल और नेमसिंह को भी फौज में जाने के लिए मोटिवेट किया।
बड़ा भाई छुट्टी पर आता दो भाइयों से लगवाता था दौड़
जब भी जोगेंद्र सिंह खुद छुट्टी पर आता तो वह भाइयों को सुबह 4 बजे उठाकर मेहोजी स्टेडियम में दौड़ भी लगवाता। पिता नाहर सिंह बताते हैं 2016 में सबसे पहले जोगेंद्र नौकरी में सिलेक्ट हुआ इसके बाद 2023 में रावल सिंह और नेम दोनों का ही सिलेक्शन हो गया।
एक अरुणाचल प्रदेश दूसरा जम्मू कश्मीर तो तीसरा जबलपुर में तैनात
सबसे बड़े बेटे जोगेंद्र की पोस्टिंग अरुणाचल प्रदेश, रावल की जम्मू कश्मीर और नेमसिंह वर्तमान में जबलपुर ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग कर रहा है। पिता नाहर सिंह बताते हैं कि पहले जिस तरह परिवार के हालात थे तो बिल्कुल लगता ही नहीं था परिवार में कभी कोई सुख- सुविधाएं होगी। लेकिन बेटों ने आज उनका नाम रोशन कर दिया है।