सार
कोलकत्ता में निर्भया कांड 2.0 मामले की आग सिर्फ राज्य भर सीमित नहीं रह गई है। इसका असर देश के दूसरे राज्यों में भी देखने को मिल रहा है। इसी वजह से राजस्थान के करीब 5 हजार डॉक्टर हड़ताल पर चल गए हैं।
कोलकाता रेप केस। कोलकाता में महिला डॉक्टर की रेप के बाद निर्मम हत्या कर दी गई थी। इसके बाद पूरे देश के डॉक्टरों ने एक साथ आवाज बुलंद करते हुए विरोध प्रदर्शन की शुरुआत कर दी है। इस बीच ये आग राजस्थान भी पहुंच गई है। जहां राज्य के लगभग सभी शहरों में डॉक्टर स्ट्राइक पर चले गए हैं। करीब 5 हजार रेजीडेंट डॉक्टर्स ने काम बंद कर दिया है। ओपीडी और आईपीडी में लंबी कतारें लग गई हैं, जिसकी वजह से सीनियर डॉक्टर्स पर प्रेशर बढ़ रहा है।
जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स के अध्यक्ष डॉ मनोहर सियोल ने कहा-"हर बार डॉक्टर निशाना बन रहे हैं। आखिर हमारी गलती क्या है। जब तक मैनेजमेंट हमारी मांगे नहीं मानेगा तब तक जयपुर ही नहीं राजस्थान के सभी शहरों के रेजीडेंट स्ट्राइक पर रहेंगे। कोलकाता की डॉक्टर के साथ जो हुआ है वह निंदा करने योग्य तक नहीं है। फांसी से कम कुछ भी बर्दाश्त नहीं होगा। हम रेजिडेंट की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं और सरकार इससे बच रही है।"
राजस्थान में स्ट्राइक का असर
राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में स्थिति डॉक्टर्स की हड़ताल की वजह से दयनीय होती जा रही है। जयपुर में स्थित उत्तर भारत के सबसे बड़े गर्वमेंट हॉस्पिटल में एक Sawai Man Singh Medical College (SMS) में भी स्ट्राइक का असर साफ दिख रहा है। जहां रेजीडेंट के न होने पर सीनियर डॉक्टर्स को चैंबर में बैठना पड़ रहा है और मरीजों की जांच करनी पड़ रही है। जबकि उनका मुख्य काम सर्जरी करना होता है। इस वजह से 60 फीसदी से तक ऑपरेशन को टाल दिया गया है।
पांच लाख मरीज आते है रोज
बता दें कि जयपुर, जोधपुर, भरतपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर, झालावाड़ जैसे बड़े शहरों में बड़े सरकारी अस्पतालों की संख्या काफी ज्यादा हैं। जहां हर दिन करीब पांच लाख मरीज छोटी-बड़ी बीमारियों के लिए पहुंचते हैं। जिनमें से अधिकतर को रेजीडेंट ही डील करते हैं।
हालात काबू करने में लगे हुए हैं- एडिशनल चीफ सेक्रेटरी
राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग की एडिशनल चीफ सेक्रेटरी शुभ्रा सिंह ने बताया-"हम हालात काबू करने में लगे हुए हैं। Sawai Man Singh Medical College हॉस्पिटल सबसे बड़ा है। वहां पर 50 सीनियर डॉक्टर्स भेजे गए हैं। ये किसी न किसी कारण से एपीओ चल रहे थे। बाकि बड़े अस्पतालों में भी सिस्टम सही करने में जुटे हुए हैं।"
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