सार

राजस्थान के कोटा जिले स्थित मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में अब बाघों का नामोनिशान नहीं बचा है। यहां टाइगरों की संख्या बढ़ाने के लिए लाई गई एक मात्र बाघिन MT-4 की भी जान जाने के साथ तीन शावकों की भी मौत हो गई। क्योंकि वह प्रेग्नेंट थी।

कोटा (kota news). कभी बाघों की तेज दहाड़ से गूंजने वाले मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों का नामोनिशान भी नहीं बचा है। दरअसल यहां की एकमात्र बाघिन एमटी 4 की भी मौत हो चुकी है। इतना ही नहीं इसकी मौत के साथ तीन उनको की भी मौत हुई है जो मुकुंदरा में दहाड़ते। तीनों शावक एमटी 4 के गर्भ में पल रहे थे। बाघिन की मौत होने के बाद शावक भी गर्भ में मार गए।

काफी समय से बीमार थी प्रेग्नेंट बाघिन

दरअसल बाघिन पिछले लंबे समय से बीमार चल रही थी। जिसका प्रोटोकॉल के मुताबिक इलाज भी किया जा रहा था। लेकिन उसकी स्वास्थ्य हालत ज्यादा बिगड़ दी गई और उसकी मौत हो गई। यह बाघिन वैसे तो राजस्थान के रणथंबोर नेशनल पार्क की बाघिन कृष्णा की बेटी है। जिसे साल 2014 में पहली बार देखा गया था। लेकिन फिर इस बाघिन को मुकुंदरा के जंगल राज आगए। यहां फिर प्रजनन के लिए रणथंबोर से ही बाघ एमटी 3 को भी लाया गया था।

मुकुंदरा में बाघ का कुनबा बढ़ाने आई थी टाइग्रेस

यह बाघिन मुकुंदरा की एकमात्र बाघिन थी। जिसके प्रेग्नेंट होने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि अब जल्द ही मुकुंदरा में इनका कुनबा बढ़ेगा लेकिन तबीयत खराब होने के बाद पहले तो उसे ट्रेंकुलाइज किया गया लेकिन इलाज के बावजूद भी कोई हल नहीं निकला। डॉक्टर्स के मुताबिक इस बाघिन ने मरने से पहले तीन बार लंबी सांस ली और इसके बाद दम तोड़ दिया।

दिखाई दे सकते है नामीबिया से आए चीते

भले ही मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में अब बाघों का नामोनिशान नहीं बचा हो लेकिन इसके बावजूद अब यहां जल्द ही नामीबिया से आए चीते देखने को मिल सकते हैं। दरअसल नामीबिया से आई चीतों की टोली को मुकुंदरा का यह जंगल रास आने लगा है। कई बार उन्हें इस तरफ देखा भी गया हालांकि विभाग ने तो इसकी तैयारी कर ली है लेकिन राजनीतिक कारणों से मामला अभी अधर में लटका हुआ है।

जानकारी हो कि मुकुंदपुरा टाइगर हिल्स में बाघ एमटी-5 और बाघिन एमटी-4 को रणथंभौर से यहां टाइगर की आबादी बढ़ाने के लिए रिलोकेट किया गया था। लेकिन अब टाइग्रेस की जान जाने से यह एक बार फिर सपना ही बन जाएगा।

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