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Labour Day: मजदूरों ने रचा इतिहास- खुद कभी स्कूल नहीं गए, लेकिन भूखे पेट पसीना बहाकर अपने बेटों को बना दिया IAS-IPS
Labour Day 2023 भारत ही नहीं पूरी दुनिया इंटरनेशनल लेबर डे मजदूर दिवस मना रहा है। जो दिन रात मेहनत करके अपने परिवार का पेट भरते हैं। कुछ मजदूर ऐसे भी हैं जो खुद तो कभी स्कूल नहीं गए, लेकिन बेटा-बेटी को आईएएस-आईपीएस बना दिया। पढ़िए इनकी ही कहानी...
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सीकर (राजस्थान). सबसे पहले बात राजस्थान के किसान मजदूर बनवारी लाल की। जो लोगों के फसल कटाई और बुआई का काम करते थे। इन्होंने अपने बेटे सोहनलाल को अच्छी तरह से पढ़ाया। सोहनलाल ने भी हर मुश्किल में अच्छे से पढ़ाई की और यूपीएससी के एग्जाम में 201 वी रैंक हासिल की। इतना ही नहीं सोहनलाल राजस्थान केडर में ही आईएएस है आज भी जब उसे काम से छुट्टी मिलती है तो वह घर आकर अपने पिता के साथ खेती का काम जरूर करता है।
मजदूर दिवस पर ट्रक चलाने वाले बेटे को बना दिया आईएएस
अब बात नागौर जिले के रहने वाले आईएएस पवन की। जिस ने साल 2021 में यूपीएससी एग्जाम में 591 रैंक हासिल की। पवन के पिता रामेश्वरलाल सालों से ट्रक ड्राइवरी का काम कर रहे हैं। पवन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल में पूरी की। अपने पिता के बारे में पवन कहते हैं कि मैं बड़ा भाग्यशाली हूं कि मुझे ऐसे माता-पिता मिले जिन्हें मेरा कैरियर बनाने के लिए अपने दिन रात तक एक कर दिए। घर पर लाइट का कनेक्शन नहीं था फिर भी मेरे पिता और माता पड़ोस से लाइट का कनेक्शन ले लेते थे कभी मुझे चिमनी तो कभी लालटेन से पढ़ाते थे।
मनरेगा में काम करने वाले मजदूर माता-पिता का बेटा बना अफसर
इसी क्रम में बात राजस्थान के जोधपुर जिले में मनरेगा योजना के तहत काम करने वाले मजदूर पति-पत्नी के बेटे सोहन की। जिसका 2021 में यूपीएससी में सिलेक्शन हुआ है। इसके माता और पिता दोनों मनरेगा में मजदूरी का काम पिछले लंबे समय से करते आ रहे हैं। जब यह काम नहीं रहता तो दोनों खेती का काम करते हैं लेकिन सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद भी सोहन लगातार अपने लक्ष्य पर डटा रहा। कॉलेज में आने के बाद उसके माता-पिता ने मजदूरी का काम कर भी उसे अच्छी से अच्छी सुविधा प्रदान की। सोहन ने यूपीएससी 2021 में 681 वीं रैंक हासिल की।
मां ने मजदूरी करके बेटे को बना दिया आईपीएस
अब सबसे अंत में बात राजस्थान के दौसा जिले के मेहंदीपुर बालाजी इलाके के रहने वाले आईपीएस अरविंद मीणा की। जो साल 2020 बैच का आईपीएस है। 2005 में अरविंद के पिता फतेह सिंह को ट्रक ने टक्कर मार दी। जिसके चलते उनकी मौत हो गई। इसके बाद मां सजनो देवी ने खुद को कमजोर करने की बजाय मजबूत रखा और अपने दो बेटे अरविंद और अल्पेश को पालने के लिए दिन रात एक कर के खेती और मजदूरी का काम करना शुरू कर दिया।
पति की मौत होने के बाद करीब 15 साल बाद सजनो की जिंदगी में रोशनी आई जब बड़ा बेटा अरविंद आईपीएस बन गया। अरविंद इस बारे में कहते हैं कि उन्हें उनकी मां ने कभी लगने ही नहीं दिया कि उनके पास किसी चीज की कमी है।