सार

3 दिसंबर को राजस्थान विधानसभा के परिणाम सामने आएंगे। लेकिन सियासत के गलियारों में चर्चा है कि आखिर मुस्लिम मतदाताओं ने किसे अपना वोट दिया है। क्योंकि राजस्थान की राजनीति में हमेशा से ही मुस्लिम सीटों की अहम भागीदारी रही है।

अजमेर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए मतदान होने के बाद अब लोगों की निगाहें केवल परिणाम पर टिकी है। 3 दिसंबर को सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होगी। लेकिन प्रत्याशी और पार्टियां अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। लेकिन राजस्थान की राजनीति में हमेशा से ही मुस्लिम सीटों की अहम भागीदारी रही है। बात करें यदि राजस्थान की तो राजस्थान में मुस्लिम मतदाता तीसरे नंबर पर आते है।

मुस्लिम के लिए बीजेपी ने बनाई थी रणनीति

मुस्लिम सीटों पर जीत हासिल करने के लिए इस बार भाजपा ने रणनीति भी बनाई। जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा भी करवाई। इसके साथ ही ऐसी सीटों पर तीन संत समुदाय के लोगों को टिकट भी दिया गया। जिसका नतीजा निकला कि मतदान प्रतिशत दो से पांच प्रतिशत तक बढ़ गया।

इन सीटों पर ज्यादा हैं मुस्लिम मतदाता

हालांकि राजनीतिक जानकारो की माने तो राजस्थान में ध्रुवीकरण के आसार बेहद कम होते हैं क्योंकि यहां का वोटर ज्यादातर अपनी पार्टी के लिए समर्पित रहता है। लेकिन यदि ऐसा होता है तो राजस्थान में चौंकाने वाली बात रहेगी। राजस्थान में किशनपोल, हवामहल, आदर्श नगर,सिविल लाइंस, टोंक, मकराना, डीडवाना, तारानगर,चूरू,नागौर,फतेहपुर, अजमेर उत्तर,मांडल, नसीराबाद, नगर, रामगढ़, पोकरण, जैसलमेर, शिव, तिजारा, सवाईमाधोपुर विधानसभा सीट ऐसी है जिनमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। लेकिन इन सीटों में इस बार मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में बढ़ा है।

किसके लिए फायदेमंद होगा बढ़ा हुआ मतदान

इनमें पोकरण में 87 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है जो राजस्थान में सबसे ज्यादा है। इसी तरह मांडल में 4%,किशनपोल में 5%,देवली में 3% मतदान ज्यादा हुआ है। हालांकि राजनीतिक जानकारी का मानना है कि यदि मतदान प्रतिशत बढ़ता है तो इसका मतलब होता है कि सत्ता में परिवर्तन होगा। हालांकि अब देखना होगा कि आखिरकार मतदान प्रतिशत बढ़ना किसके लिए फायदेमंद होता है।