National Gopal Ratna Award 2025: केंद्र सरकार ने देशभर के किसानों और डेयरी संगठनों को देसी गाय-भैंस नस्लों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार देने की योजना बनाई है। राजस्थान व हरियाणा के पशुपालक विशेष रूप से लाभान्वित होंगे।आवेदन 15 सितंबर तक करें
Rashtriya Gokul Mission : भारत में देसी नस्लों के संरक्षण और दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने एक नई पहल की है। इसके तहत पशुपालकों और डेयरी क्षेत्र से जुड़े संगठनों को राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार दिए जाएंगे। सरकार का कहना है कि इस कदम से न केवल स्वदेशी नस्लों का संरक्षण होगा बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। राजस्थान और हरियाणा में दूध देने वाले पशुओं की संख्या सबसे ज्यादा है। दूध उत्पादन में राजस्थान देश में दूसरे नंबर पर है।
तीन श्रेणियों में मिलेगा पशुपालकों को सम्मान
- पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने स्पष्ट किया है कि पुरस्कार तीन अलग-अलग श्रेणियों में दिए जाएंगे। इसमें विजेताओं को दो से पांच लाख रुपये तक की नकद राशि दी जाएगी।
- पहला पुरस्कार 5 लाख, दूसरा 3 लाख और तीसरा पुरस्कार 2 लाख रुपये का होगा।
- इसके अलावा विशेष श्रेणी में भी 2 लाख रुपये के पुरस्कार का प्रावधान है।
क्या है सम्मान की आवेदन की आखिरी तारीख
- इच्छुक किसान और संगठन 15 सितंबर तक राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे।
- आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन रहेगी और किसी भी तरह के ऑफलाइन आवेदन मान्य नहीं होंगे।
- सरकार ने कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) को भी किसानों की मदद के लिए अधिकृत किया है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के आवेदक आसानी से प्रक्रिया पूरी कर सकें।
किसे मिलेगा यह अवॉर्ड?
- दुग्ध उत्पादक किसान
- डेयरी सहकारी समितियां
- दुग्ध उत्पादक कंपनियां
- डेयरी किसान उत्पादक संगठन (FPO)
- कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन पात्र होंगे।
- कृत्रिम गर्भाधान (AI) श्रेणी में केवल प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न ही दिए जाएंगे।
देसी नस्लों पर रहेगा फोकस
- पुरस्कार योजना का मुख्य उद्देश्य स्वदेशी गाय और भैंसों की नस्लों को प्रोत्साहन देना है।
- देशभर की 53 गायों और 20 भैंसों की नस्लों को इसमें शामिल किया गया है।
- राजस्थान के पशुपालक इस दिशा में पहले से ही अग्रणी रहे हैं।
- यहां की थारपारकर, राठी, नागौरी, मेवाती, कंकरेज, हरियाणा, साहिवाल, नारी और सांचौरी नस्लों की मांग पूरे देश में सबसे अधिक है। इनमें राजस्थान की नस्ल की भी कई पशु शामिल है।
- राजस्थान सहित कई राज्यों के पशुपालकों का मानना है कि यह पुरस्कार योजना स्वदेशी नस्लों के संवर्धन और संरक्षण को नई गति देगी।
- पुरस्कार के रूप में मिलने वाली आर्थिक सहायता किसानों को और बेहतर ढंग से पशुपालन करने के लिए प्रेरित करेगी।
- सरकार का यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में भी एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है। नवंबर महीने में आयोजित होने वाले विशेष समारोह में विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा।
