बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट विवाद गरमाया। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की शपथ पत्र मांगने को ठुकराया, गहलोत ने आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। क्या यह लोकतंत्र के लिए चुनौती बन रहा है? जानिए पूरा मामला।

Voter List Controversy Heats Up Ahead of Bihar Polls: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आया है, जिसने राष्ट्रीय राजनीति में गर्माहट पैदा कर दी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग द्वारा शपथ पत्र देने की मांग को ठुकरा दिया है। उन्होंने मतदाता सूची में बड़ी गड़बड़ी होने का आरोप लगाते हुए इसे "#VoteChori" बताया। वहीं, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। क्या यह विवाद हमारे लोकतंत्र की साख के लिए खतरा बन सकता है?

क्या है वोटर लिस्ट विवाद की असली वजह? 

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से मतदाता सूची की जांच के लिए शपथ पत्र मांगा था, लेकिन उन्होंने इसे सख्ती से खारिज कर दिया। उनका कहना है कि वे पहले ही संसद सदस्य के रूप में संविधान की रक्षा की शपथ ले चुके हैं। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है और चुनाव आयोग को तुरंत निष्पक्ष जांच करनी चाहिए। इस बीच उन्होंने जनता के सामने अपने दावे के समर्थन में सबूत भी रखे हैं।

अशोक गहलोत का बड़ा बयान: क्या चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली सही है? 

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस शपथ पत्र मांगने को "बेहूदा" और "इज्जत बचाने का प्रयास" बताया। गहलोत ने कहा कि पहले आयोग स्वतः संज्ञान लेकर जांच करता था ताकि जनता का भरोसा बना रहे। उन्होंने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओ.पी. रावत के बयान को भी याद दिलाया, जिसमें बताया गया कि अतीत में बड़े विपक्षी नेता भी चुनाव आयोग पर आरोप लगा चुके हैं, लेकिन उनसे शपथ पत्र नहीं मांगे गए थे।

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क्या चुनाव आयोग निष्पक्ष है?

गहलोत ने सवाल उठाया कि यदि इसी तरह का खुलासा किसी खोजी पत्रकार या मीडिया संगठन ने किया होता, तो क्या आयोग उनसे भी शपथ पत्र मांगता या निष्पक्ष जांच करता? यह प्रश्न चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

लोकतंत्र के लिए खतरा?

गहलोत की तुलना चीन, रूस और नॉर्थ कोरिया से गहलोत ने चेतावनी दी कि अगर भारत में चुनाव आयोग भी उसी तरह का काम करता रहा जैसा नॉर्थ कोरिया, चीन और रूस जैसे देशों में होता है, जहां चुनाव आयोग केवल औपचारिकता निभाते हैं, तो यह लोकतंत्र की साख के लिए गंभीर खतरा होगा। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित होगी।

चुनाव आयोग का मौन और भविष्य की राजनीतिक

लड़ाई फिलहाल चुनाव आयोग की ओर से इस विवाद पर कोई विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं आई है। विपक्ष के हमलों और जनता के सवालों ने इस मुद्दे को चुनावी बहस के केंद्र में ला दिया है। आने वाले दिनों में यह विवाद और तेज होने की संभावना है, जो बिहार चुनाव के माहौल को और गर्मा सकता है।

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