Rajasthan Road Accidents: राजस्थान के दौसा में हालिया भीषण सड़क हादसे ने देश के टॉप-10 राज्यों में शामिल राजस्थान की सड़क सुरक्षा समस्या को फिर से उजागर किया है। हर साल यहां करीब 11,000 लोगों की सड़क हादसों में मौत होती है। 

India Road Safety : राजस्थान एक बार फिर सड़क हादसे की दर्दनाक खबरों से सुर्खियों में है। ताजा मामला दौसा जिले का है, जहां बीते दिनों एक भीषण सड़क दुर्घटना में 11 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और कई घायल हो गए। तेज रफ्तार और लापरवाही की वजह से हुआ यह हादसा न केवल पीड़ित परिवारों के लिए कभी न भरने वाला जख्म छोड़ गया, बल्कि राजस्थान में बढ़ते सड़क हादसों की भयावह तस्वीर भी सामने लाया। तो आइए हम देश के उन 10 राज्यों के बारे में बताते हैं, जहां, हर साल सबसे ज्यादा मौते होती हैं।

राजस्थान में हर साल 11 हजार मौतें

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) के 2022 तक के आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान देश के उन 10 राज्यों में शामिल है, जहां सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतें सबसे ज्यादा हैं। यहां हर साल करीब 11 हजार लोग सड़क पर अपनी जान गंवाते हैं। यह आंकड़ा किसी भी राज्य के लिए चिंता का विषय होना चाहिए, लेकिन हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ते जा रहे हैं।

देश का सड़क सुरक्षा रिकॉर्ड चिंताजनक

 केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने फरवरी 2025 में संसद में स्वीकार किया कि भारत का सड़क सुरक्षा रिकॉर्ड ‘बहुत खराब’ है। उन्होंने कहा— “सड़क हादसे कम करने का जो लक्ष्य था, वह पूरा होना तो दूर, हादसे और बढ़ गए हैं।” गडकरी के अनुसार, जब उन्होंने मंत्रालय का कार्यभार संभाला था, तब 2024 तक सड़क हादसों और मौतों को 50% तक कम करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन हकीकत इसके उलट निकली।

आंकड़ों में भयावह सच्चाई

 2022 के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में 4,61,312 सड़क हादसे हुए, जिनमें 1,68,491 लोगों की मौत हुई और 4,43,366 लोग घायल हुए। केवल नेशनल हाईवे पर 1,51,997 हादसे हुए, जो कुल दुर्घटनाओं का लगभग 33% हैं।

राज्य हाईवे पर 1,06,682 और अन्य सड़कों पर 2,02,633 हादसे हुए। मौतों की बात करें तो नेशनल हाईवे पर 61,038 लोग मारे गए, जबकि राज्य हाईवे पर 41,012 और अन्य सड़कों पर 66,441 मौतें दर्ज हुईं।

राजस्थान की स्थिति 2018 से 2022 के बीच, राजस्थान में 51,280 मौतें सड़क हादसों में हुईं। यह संख्या तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के बाद आती है। राजस्थान का भूगोल, लंबी हाईवे नेटवर्क और बढ़ती गाड़ियों की संख्या इसे सड़क सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील बनाते हैं।

दौसा हादसा एक चेतावनी 

  • दौसा जिले का हालिया हादसा इस बात का सबूत है कि रफ्तार और लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है। हादसे में शामिल ट्रक और बस के ड्राइवर की लापरवाही ने कई परिवारों को उजाड़ दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि हाईवे पर स्पीड कंट्रोल और पुलिस गश्त की कमी ऐसे हादसों का बड़ा कारण है।

समाधान की दिशा में क्या होना चाहिए

  • विशेषज्ञों का मानना है कि सड़क हादसों को कम करने के लिए तीन स्तरों पर काम होना चाहिए— इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार: सड़क डिजाइन, डिवाइडर, और ब्लाइंड स्पॉट हटाना। कड़े नियम: ओवरस्पीड, शराब पीकर ड्राइविंग और बिना हेलमेट/सीट बेल्ट वाले चालकों पर सख्त जुर्माना। जनजागरूकता: गांव-गांव और स्कूल-कॉलेज स्तर पर सड़क सुरक्षा अभियान।
  • दौसा का हादसा सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि अगर अब भी सड़क सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले सालों में आंकड़े और भयावह हो सकते हैं। राजस्थान में हर साल 11 हजार मौतें बताती हैं कि अब रफ्तार को काबू में करना और नियमों का पालन करवाना सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।

2018 से 2022 तक एक्सीडेंट वाले स्टेट

  • उत्तर प्रदेश - 1,08,882
  • तमिलनाडु - 83,316
  • महाराष्ट्र - 66370
  • मध्य प्रदेश - 58580
  • कर्नाटक - 53448
  • राजस्थान -51280
  • आंध्र प्रदेश -39058
  • गुजरात -36626
  • बिहार -36191
  • तेलांगाना - 35565