Breaking: Rajasthan’s Kishangarh में पड़ोसी विवाद ने लिया डरावना मोड़-पूरे परिवार पर ज्वलनशील रसायन से हमला, पति-पत्नी और मां गंभीर रूप से झुलसीं। पुलिस ने पिता-पुत्र को हिरासत में लिया, शुरुआती जांच में पूर्व-नियोजित साजिश के संकेत।  

Kishangarh Acid Attack: अजमेर जिले के किशनगढ़ शहर में 9 अगस्त 2025 को एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया। सब्जी मंडी नया शहर क्षेत्र में लंबे समय से चल रहे पड़ोसी विवाद ने हिंसक रूप ले लिया, जब एक परिवार पर ज्वलनशील रसायन डालकर हमला किया गया। इस वारदात में पति, पत्नी और मां गंभीर रूप से झुलस गए।

क्या है किशनगढ़ का यह विवाद और कैसे पहुंचा जानलेवा मोड़ तक? 

जानकारी के मुताबिक, पीड़ित परिवार का विवाद पड़ोसियों के साथ कई महीनों से चल रहा था। पहले भी किशनगढ़ थाने में शिकायतें दर्ज हुई थीं, लेकिन पुलिस की कार्रवाई केवल मामूली धाराओं तक सीमित रही। नतीजतन, आरोपी पक्ष के हौसले बढ़ते गए और आखिरकार यह विवाद तेजाब जैसे रसायन के हमले में बदल गया।

घटना के वक्त क्या हुआ? 

शनिवार को विवाद फिर भड़क उठा और आरोपी पक्ष ने कथित तौर पर ज्वलनशील केमिकल डालकर हमला कर दिया। अचानक हुए इस हमले में पीड़ित पति अंशगिरी, पत्नी ज्योति और मां संतोश आग की लपटों में घिर गए। चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने तुरंत घायलों को राजकीय यज्ञनारायण अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उनकी हालत नाजुक होने पर उन्हें अजमेर के जेएलएन हॉस्पिटल के बर्न वार्ड में रेफर कर दिया गया। तीनों की स्थिति अभी भी गंभीर बताई जा रही है।

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पुलिस कार्रवाई और शुरुआती जांच के नतीजे 

मौके से आरोपित पिता-पुत्र को हिरासत में लिया गया है। एफएसएल टीम को घटनास्थल से सबूत जुटाने के लिए बुलाया गया। शुरुआती जांच में यह मामला पूर्व-नियोजित हमला साबित हो रहा है। पुलिस का कहना है कि ज्वलनशील रसायन के स्रोत की भी जांच की जा रही है।

क्या समय रहते कार्रवाई होती तो टल सकती थी यह घटना? 

पीड़ित परिवार का आरोप है कि अगर पुलिस पहले दर्ज शिकायतों पर सख्ती से कार्रवाई करती, तो यह भयावह वारदात नहीं होती। यह सवाल अब पूरे इलाके में गूंज रहा है कि पारिवारिक और पड़ोसी विवाद किस हद तक बढ़ सकते हैं और उन्हें समय पर रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए। यह घटना न केवल किशनगढ़ बल्कि पूरे राजस्थान में चर्चा का विषय बन गई है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि छोटी-छोटी कहासुनियों को समय रहते निपटाने में पुलिस और प्रशासन की ढिलाई क्यों बरती जाती है, जो बाद में जानलेवा बन जाती है।

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