सार
राजस्थान में सियासी तमाशा शुरू हो चुका है। सचिन पायलट ने एक बार फिर अपनी ही सरकार और सीएम गहलोत के खिलाफ धरने पर बैठ गए हैं। अब देखना होगा कि सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की अंदरखाने की लड़ाई आखिर कब तक सुलझ पाएगी।
जयपुर. राजस्थान की राजनीति से सबसे बड़ी खबर है। राजस्थान में कांग्रेस का दूसरे सबसे बड़े नेता यानि सचिन पायलट अपनी पार्टी के खिलाफ बगावत पर उतर आए हैं। बगावत इसलिए क्योंकि कल रात तक पार्टी के बड़े नेता उनको समझाने में लगे हुए थे कि वे ऐसा नहीं करें, लेकिन वे नहीं मानें तो पार्टी आलाकमान उनके इस अनशन को पार्टी से अलग बता दिया है। अनशन में जाने वाले नेताओं को पहले ही मना कर दिया गया है। यानि अब पार्टी से अलग काम किया तो पार्टी विरोधी गतिविधी मानी जाएगी और उसके बाद उन पर कार्रवाई हो सकती है, यहां तक कि उनकी सदस्यता छह साल तक के लिए छीनी जा सकती है। अब पायलट फंस गए हैं, अगर अनशन करते हैं तो नेतागिरी खत्म होने का डर, अगर नहीं करते हैं तो नेतागिरी पूरी तरह से ही खत्म होने का डर.....।
क्या पार्टी आलाकामान सुलझा पाएंगे मामला
सचिन पायलट के अनशन - उपवास को लेकर देर रात एआईसीसी के लैटर हैड पर एक बयान जारी किया गया है सुखजिंदर सिंह रंधावा के द्वारा...। रंधावा ने लिखा है कि वे लगातार सचिन के संपर्क में हैं। सचिन पार्टी की असेट हैं, उनको किसी तरह की कोई परेशानी है तो वह पार्टी से बात कर सकते हैं। रंधावा ने लिखा है कि मीडिया और जनता की जगह पार्टी के स्तर पर चर्चा की जा सकती है। कोई भी विवाद पार्टी के स्तर पर ही सिमट सकता है ना कि जनता के स्तर पर।
45 हजार करोड़ रुपए के घोटाले के खिलाफ धरने पर बैठ रहे सचिन पायलट....
दरअसल सचिन पायलट पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के खिलाफ धरने पर बैठ रहे हैं। उनका आरोप है कि राजे और उनके नेताओं ने मिलकर 45 हजार करोड़ रुपयों का खान घोटाला किया था। इस घोटाले की जांच कराने के लिए वर्तमान सीएम ने कहा था, लेकिन सीएम ने ऐसा नहीं किया। जबकि वे दो तीन बार सीएम को घोटाले की जांच कराने के लिए भी लिख चुके हैं। इसी एक मामले को लेकर सचिन आज अनशन पर बैठ रहे हैं। इस मामले में फिलहाल सीएम अशोक गहलोत या पूर्व सीएम वसुंधरा राजे.... दोनो का ही कोई बयान नहंीं आया है।
जयपुर पहुचे सचिन पायलट के हजारों समर्थक
बताया जा रहा है कि उनके इस प्रदर्शन और अनशन में शामिल होने के लिए वैसे तो पार्टी के किसी भी नेता और कार्यकर्ता को अनुमति नहीं मिली है लेकिन उसके बाद भी उनके साथ अनशन में शामिल होने के लिए करीब पंद्रह से बीस हजार लोगों की भीड़ आ सकती है। ये भीड़ जयपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, दौसा, करौली आदि जिलों से होनी है।