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भगवान शिव के 5 रहस्मयी मंदिर: कहीं दिन में 3 बार रंग बदलता है शिवलिंग, कहीं मूर्ति चारों तरफ घूमती
इस साल का सावन विशेष है, क्योंकि अधिकमास होने के कारण इस साल दो सावन है। यानि पूरे साठ दिन बाबा भोलेनाथ के मंदिरों में आर्शीवाद लेने के लिए भक्तों की भीड़ रहेगी। इस बीच राजस्थान के पांच मंदिर के बारे में जानिए जो रहस्मयी हैं।
| Published : Jul 10 2023, 02:06 PM IST
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जयपुर. आज सावन का पहला सोमवार है। फिर बाबा केदारनाथ हो, बारह ज्योर्तिलिंग हों, सोमनाथ मंदिर हों या फिर मौहल्ले के शिव मंदिर हों..... शायद ही ऐसा कोई शिव मंदिर होगा जहां भक्तों का रेला ना हों। भक्त अपने अपने तरह से शिवजी को खुश करने में लगे रहे। इस बीच आज आपको बताते हैं राजस्थान के पांच ऐसे रहस्यमंदिर जहां भक्तों की मुराद तो पूरी होती ही है..... लेकिन साथ ही यहां के चमत्कार और रहस्य ऐसे हैं जिन पर से आज तक पर्दा नहीं उठ सका है।
1 दिन में तीन बार रंग बदलते हैं शिव.... कारण किसी को पता नहीं
राजस्थान के धौलपुर जिले में स्थित है ये शिव मंदिर... नाम है अचलेश्वर महादेव मंदिर। मंदिर में स्थित शिवलिंग सवेरे लाल रंग के होते हैं। दोपहर होते होते केसरिया रंग धर लेते हैं और शाम होते ही श्याम वर्ण यानि बैंगनी रंग में रंगना शुरु हो जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि शिवलिंग की जड़ें बेहद गहरी हैं। एक बार खुदाई कर सब कुछ जानने की कोशिश भी की गई थी, लेकिन कोशिश नाकाम रही। रंग क्यों बदलते हैं भोलेनाथ.... इसका किसी को अंदाजा नहीं।
2. 108 खंभों पर टिका सोमनाथ मंदिर... रातों रात बन गया.... कैसे, किसी को पता नहीं
डूंगरपुर जिले का सोमनाथ मंदिर, देखने में लगता है साउथ का कोई मंदिर हो। उसी तरह की शैली, उसी तरह की नक्काशी...। बताया जाता है कि मंदिर में दो शिवलिंग हैं जो अपने आप ही प्रकट हुए थे। मंदिर प्रबंधन का कहना है कि यह मंदिर रातों रात बना था, यानि एक ही रात में इसका निर्माण कर लिया गया था। तीन मंजिल का यह विशाल मंदिर बारहवीं सदी में राजपूत राजाओं ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर बनवाया था। मंदिर का काम शाम को शुरु हुआ और सवेरे होते ही मंदिर अचानक से तैयार हो गया। मंदिर के गर्भगृह में अचानक दो शिवलिंग प्रकण हो गए। ये सब कैसे हुआ किसी को पता नहीं है।
3. मालेश्वर धाम में घुमता है शिवलिंग.... कारण किसी को पता नहीं
उधर राजधानी जयपुर के सामोद इलाके में स्थित मालेश्वर धाम यानि पहाड़ों के बीच शिव का मंदिर। बारिश में झरना और उपर से शिव जी के दर्शन, इतनी भीड़ रहती है कि पांव रखने की जगह नहीं रहती। मंदिर का शिवलिंग साल में दो बार अपनी दिशा बदलता है, यानि साल में दो बार घुमता है। कोई कहता है सूर्य देवता के हिसाब से शिवलिंग घुमता है तो कोई कहता है कि यह ईश्वर का चमत्कार है। असली कारण क्या है किसी को पता नहीं है।
4. इस मंदिर में अपने आप प्रकट हुए शिवजी... कैसे हुआ ये किसी को पता नहीं
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित है घुश्मेश्वर महादेव मंदिर...। इसे अब शिवार्ड मंदिर भी कहा जाता है। बताया जाता है कि ये करीब नौ सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। यह भारत के द्वादशों ज्योतिर्लिंग में अंतिम ज्योतिर्लिंग है। यह मंदिर शिवाड़ कस्बे में देवगिरी पर्वत पर बना हुआ है। सावन मंे और शिवरात्रि में यहां मेले लगते हैं। यहां जो शिवलिंग है वह अपने आप प्रकट होना बताया जाता है। उसकी फोटो खींचना अनुमत नहीं है।
5. पहाड़ी के बीच में अपने आप प्रकट हुआ शिवलिंग... गुफा से होती है एंट्री....
अलवर जिले में स्थित नलदेश्वर शिवलिंग का चमत्कार भी लाखों भक्तों को खीचं लाता है। अलवर शहर से करीब तीस किलोमीटर दूर स्थित शिव मंदिर में जाने के लिए पहाड पर चढ़ना होता है। फिर एक संकरी गुफा में से घुसकर स्वयं प्रकट हुए शिव जी के दर्शन किए जाते हैं। पूरे साल ही यहां भीड़ रहती है। सावन में तो हालात ये रहते हैं कि पहाड़ी पर पैर रखने की जगह नहीं रहती है।