सार

देश ही नहीं विदेश में भी बाबा खाटू श्याम के भक्त हैं। कहा जाता है कि राजस्थान के सीकर में बने भगवान के मंदिर में जो एक बार आता है उसकी हर मुराद पूरी हो जाती है। कोई लगड़ां होकर भी दौड़ने लगा तो किसी का आग की लपटों में होने के बाद भी कुछ नहीं हुआ।

सीकर. बाबा खाटू श्याम का लक्खी मेला आज से शुरू हो चुका है। 4 मार्च तक सीकर जिले में चलने वाले मेले में करीब 40 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु पहुंचने वाले हैं। लेकिन आपको बता दें कि इन श्रद्धालुओं का यहां इतनी बड़ी संख्या में आना कोई संयोग नहीं बल्कि एक चमत्कार ही है। क्योंकि बाबा खाटू श्याम ने अपने मंदिर में आने वाले भक्तों की कई मनोकामना पूरी कर दी है,, जो कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगी

रात को सपने में बाबा खाटू श्याम आए और...

सबसे पहले बात दिल्ली के समाजसेवी लोकेश कुमार। लोकेश कुमार मूल रूप से प्लास्टिक का बिजनेस करते हैं। रिश्तेदारों के साथ एक बार वह भी खाटू आए। यहां उन्होंने बाबा के दर्शन कर मन्नत मांगी कि उनका व्यापार और ज्यादा बढ़ता रहे। इसके बाद लगातार लोकेश कुमार के बिजनेस में बढ़ोतरी होती रही। लोकेश कुमार बताते हैं कि एक बार उनके रात को सपने में बाबा खाटू श्याम आए जिन्होंने दिल्ली में भी अपना मंदिर बनवाने की बात कही।जिसके बाद अब लोकेश कुमार ने दिल्ली के पटेल नगर इलाके में बाबा का मंदिर बनवाने का काम चालू कर दिया है।

बाबा का कीर्तन करते-करते चलने लगा भक्त

बाबा खाटू श्याम मंदिर से जुड़ा दूसरा बड़ा चमत्कार यह है कि बाबा खाटू श्याम के कोलकाता से एक महिला गायत्री हर साल आती थी। जिसके एक बेटा भी था लेकिन वह पोलियो ग्रस्त था। जो ठीक से चल भी नहीं पता था। बेटे की इस सुबह से परेशान होकर कई बार गायत्री ने बाबा के आगे शीश नवाया। हुआ कुछ यूं कि एक बार जब खाटू कस्बे में किसी धर्मशाला में कीर्तन हो रहा था उसी दौरान गायत्री का बेटा मुकेश अपने पैरों पर चलने लगा।

चारों तरफ लगी आग...लेकिन भक्त तो छू तक नहीं पाईं लपटें

खाटू मंदिर के चमत्कारों से जुड़ी तीसरी बड़ी कहानी यह है कि खाटू कस्बे में हरियाणा के रहने वाले एक व्यापारी अंब्रेज जो हर साल मेले के दौरान भंडारा भी लगाती थे। उन्होंने साल 2009 में भी मेले के दौरान भंडारा लगाया था। अचानक भंडारे में आग लगी जिससे कि पूरे स्थल पर अफरा-तफरी मच गई। लेकिन हुआ कुछ यूं कि 3 बीघा से ज्यादा एरिया में लगी आग 20 फीट से ज्यादा आगे नहीं बढ़ी.....

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