सार

dadi ratan mohini passed away : ब्रह्माकुमारीज की प्रमुख दादी रतनमोहिनी का 101 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार आबू रोड स्थित शांतिवन में किया जाएगा।

आबू रोड. ब्रह्माकुमारीज संस्था की प्रमुख और प्रसिद्ध राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी का सोमवार देर रात 1:20 बजे अहमदाबाद के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 101 वर्ष की थीं और पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रही थीं। उनके निधन की जानकारी ब्रह्माकुमारीज के आधिकारिक फेसबुक अकाउंट से साझा की गई, जिसमें लिखा गया, "हमारी ममतामयी मां समान दादीजी अब सूक्ष्म लोक में प्रवेश कर चुकी हैं।" दादी रतनमोहिनी का पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय, शांतिवन (आबू रोड, राजस्थान) में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। अंतिम संस्कार 10 अप्रैल को सुबह 10 बजे शांतिवन परिसर में ही किया जाएगा।

पाकिस्तान में हुआ था दादी रतनमोहिनी का जन्म

13 वर्ष की उम्र में चुना आध्यात्मिक जीवन दादी रतनमोहिनी का जन्म 25 मार्च 1925 को सिंध, हैदराबाद (अब पाकिस्तान) के एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन में उनका नाम लक्ष्मी था। मात्र 13 साल की उम्र में उन्होंने ब्रह्माकुमारीज से जुड़कर आध्यात्मिक सेवा का संकल्प लिया और जीवनभर इसी मार्ग पर अग्रसर रहीं। वे 1937 में संस्था की स्थापना से लेकर अब तक की 87 वर्षों की यात्रा की साक्षी रहीं।

दादी रतनमोहिनी का कैसा रहा सफर

  • ब्रह्मा बाबा की करीबी सहयोगी दादीजी ने 1937 से लेकर ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त होने (1969) तक उनका मार्गदर्शन और साथ निभाया। वे ब्रह्माकुमारीज के युवा प्रभाग की अध्यक्ष भी रहीं और उनके नेतृत्व में कई राष्ट्रीय स्तर के युवाओं के लिए कार्यक्रम, यात्राएं और सेवायें आयोजित की गईं।
  • 2021 से थीं संस्था की प्रमुख वर्ष 2021 में उन्हें ब्रह्माकुमारीज की प्रशासनिक प्रमुख की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। वे प्रेम, सादगी और उच्च आध्यात्मिक दृष्टि की प्रतीक थीं। उनकी दिनचर्या सुबह 3:30 बजे ब्रह्ममुहूर्त में ध्यान और राजयोग से शुरू होती थी। उनके नेतृत्व में संस्था ने नारी सशक्तिकरण, विश्व शांति और सामाजिक upliftment के क्षेत्र में अहम योगदान दिया।
  • दादी रतनमोहिनी की आध्यात्मिक विरासत अमर रहेगी दादीजी की दिव्य उपस्थिति, अनुशासित जीवनशैली और सेवा भावना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। ब्रह्माकुमारीज परिवार और उनके अनुयायियों के लिए उनका निधन एक अपूरणीय क्षति है।