Udaipur Files : कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' राजस्थान से लेकर मुंबई और दिल्ली तक चर्चा है। वजह हाईकोर्ट ने उस पर बैन लगा दिया है। लेकिन मर्डर को तीन साल हो गए हैं, परिवार को अभी तक इंसाफ नहीं मिला है।
Kanhaiyalal murder case : 28 जून 2022—राजस्थान के उदयपुर में एक दर्जी की दुकान में जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर दिया। टेलर कन्हैयालाल की तालिबानी अंदाज में हत्या कर दी गई, वीडियो सोशल मीडिया पर डाला गया और देश सन्न रह गया। आज तीन साल बाद भी पीड़ित परिवार का दर्द वहीं अटका है, जहां खून की बूंदें थमी थीं—लेकिन इंसाफ की स्याही अब तक अदालत की किताबों पर नहीं उतर सकी। वहीं कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' इन दिनों चर्चा में बनी हुई है। वजह दिल्ली हाईकोर्ट ने उसे रिलीज होने से पहले ही बैन कर दिया है।
कन्हैयालाल हत्याकांड की ये एजेंसियां 3 साल से कर रहीं जांच
इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है, और केस जयपुर स्थित विशेष NIA कोर्ट में चल रहा है। कुल 166 गवाहों में से अब तक सिर्फ 6 गवाहों की गवाही हो पाई है। अदालत की धीमी रफ्तार पर कन्हैयालाल के बेटे यश का दर्द छलकता है—"अगर सबूत मौजूद हैं, वीडियो है, आरोपियों ने गुनाह कबूल किया है, तो अब तक सजा क्यों नहीं हुई?" वो मानते हैं कि इस गति से केस 30-40 साल तक भी खिंच सकता है।
बेटे की प्रतिज्ञा से घर में रखी हैं कन्हैयालाल की अस्थियां
अस्थियां अभी भी घर में, बेटे की प्रतिज्ञा कन्हैयालाल की अस्थियां आज भी उनके घर के एक कोने में रखी हैं। यश ने तीन साल से न चप्पल पहनी है, न बाल कटवाए हैं। वो कहता है—"जब तक दोषियों को फांसी नहीं होगी, मैं नंगे पांव ही रहूंगा।" उनका ये विरोध, एक शांत लेकिन गूंजता हुआ संदेश है कि परिवार टूटा नहीं है—लड़ रहा है।
हत्याकांड के चश्मदीद जीते जीते मर रहा?
टूटी जिंदगी इस केस के चश्मदीद राजकुमार शर्मा की हालत भी किसी सजा से कम नहीं। उन्होंने हत्या होते देखी थी, जिसके बाद उन्हें दो बार ब्रेन हेमरेज हुआ। अब वे चल-फिर नहीं सकते, बिस्तर पर हैं। पत्नी पुष्पा कहती हैं—"वो हत्या सिर्फ कन्हैयालाल की नहीं थी, हमारे पूरे जीवन की थी।"
राजनीतिक और सामाजिक गूंज
तेली समाज और राजनीतिक दलों का मानना है कि ये सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या नहीं, बल्कि पूरे समाज पर हमला था। कांग्रेस ने केंद्र पर आरोप लगाया तो बीजेपी ने आरोपियों को जल्द सजा देने की मांग की। तेली समाज के अध्यक्ष देवेंद्र साहू ने केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजने की मांग की है।
फिल्म बनी विवाद, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई ‘उदयपुर फाइल्स
टेलर मर्डर स्टोरी’ नाम से निर्देशक अमित जानी इस केस पर फिल्म बना चुके हैं। सेंसर से पास होने के बावजूद इसकी रिलीज पर रोक लग गई, क्योंकि आरोपी मोहम्मद जावेद ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। आज (16 जुलाई 2025) को सुनवाई तय है। कन्हैयालाल की पत्नी जसोदा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर फिल्म रिलीज कराने की अपील की है—"देश को सच जानने का हक है, ये सिर्फ फिल्म नहीं, दस्तावेज है उस दर्द का जो हमने झेला है।"
आज भी वह दुकान बंद है जहां कन्हैयालाल की हत्या हुई
आज भी वह दुकान बंद है जहां कन्हैयालाल की हत्या हुई थी। आसपास की दुकानों में चहल-पहल है, लेकिन उस एक दुकान की खामोशी सब कुछ कह देती है। यह खामोशी न्याय की प्रतीक्षा की सबसे तीखी आवाज बन चुकी है।
दो बहादुर पुलिसकर्मी
प्रहलाद सिंह चुंडावत और शक्ति सिंह—दो पुलिसकर्मी जिन्होंने जान पर खेलकर हत्यारों को पकड़ा था, आज भी पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं। सरकार ने उन्हें नौकरी और हथियार का लाइसेंस दिया है। वे कहते हैं—"हमने अपना काम किया, लेकिन अफसोस है कि परिवार आज भी न्याय के लिए संघर्ष कर रहा है।"
कन्हैयालाल के परिवार को कब मिलेगा न्याय?
तीन साल बाद भी कन्हैयालाल की हत्या सिर्फ एक केस नहीं, एक जिंदा दर्द है। एक कलश, एक प्रतिज्ञा, और एक फिल्म आज भी देश से पूछ रही है—क्या इस बार न्याय सिर्फ किताबों में नहीं, जमीनी हकीकत में मिलेगा....
