सार
जोधपुर की रहने वाली अनीता का 4 महीने की उम्र में बाल विवाह हो चुका था। पिछले कई सालों से उसके ससुराल के लोग उसे ससुराल बुलाने के लिए दबाव बना रहे थे। अनीता ने अपने बाल विवाह को निरस्त करने के लिए जोधपुर के फैमिली कोर्ट 2 में केस दायर किया था।
जोधपुर. राजस्थान में हम आए दिन बाल विवाह के कई मामले सुनते हैं। कहीं 10 साल की उम्र में तो कहीं 12 साल की उम्र में लड़की की शादी कर दी जाती है। लेकिन राजस्थान के जोधपुर जिले से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां शादी के करीब 20 साल बाद एक लड़की को तलाक मिला है। इस लड़की की शादी तब हुई जब यह केवल चार महीने की थी।
फैमिली कोर्ट के जज ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
जोधपुर के फैमिली कोर्ट संख्या 2 के जज वरुण तलवार के द्वारा लड़की के बाल विवाह को निरस्त कर ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया है। साथ ही जिस लड़के से उसकी शादी हुई थी उसके परिवार के द्वारा लड़की को केस का खर्च दिलवाने के संबंध में भी आदेश जारी किया गया है।
ससुराल वाले लड़की को दे रहे थे धमकियां
जोधपुर के ग्रामीण इलाके की रहने वाली अनीता का 4 महीने की उम्र में बाल विवाह हो चुका था। पिछले कई सालों से उसके ससुराल के लोग उसे ससुराल बुलाने के लिए दबाव बना रहे थे। कई बार उन्हें धमकियां भी दी गई। इस संबंध में जोधपुर के सारथी ट्रस्ट के द्वारा अनीता के बाल विवाह को निरस्त करने के लिए जोधपुर के फैमिली कोर्ट 2 में केस दायर किया गया।
बाल विवाहएक कुरीति नहीं बल्कि एक अपराध
इसके बाद अब कोर्ट के द्वारा इस संबंध में फैसला करते हुए बाल विवाह को निरस्त कर दिया गया है। मामले में जज वरुण तलवार का कहना है कि बाल विवाह केवल एक कुरीति नहीं बल्कि एक अपराध है। बच्चों का भविष्य खराब हो जाता है। बालिका या बालक बाल विवाह को निरंतर नहीं रखना चाहते तो उनको बाल विवाह निरस्त करवाने का अधिकार है।
राजस्थान में अक्षय तृतीया पर होते हैं बाल विवाह
राजस्थान में भले ही सरकार आज भी बाल विवाह पर कंट्रोल की बात करती हो लेकिन इसके बावजूद भी आज भी राजस्थान में अक्षय तृतीया जैसे कई मौकों पर बाल विवाह होते हैं। हालांकि ज्यादातर बाल विवाह आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में होते हैं। इन्हें रोकने के लिए बकायदा प्रशासन अपने स्तर पर टीम भी बनाता है।