Vice President Jagdeep Dhankhar Resigns : 24 घंटे पहले जगदीप धनखड़ भारत के उपराष्ट्रपति थे। लेकिन अचानक से उन्होंने इस पद से इस्तीफा देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। 

Jagdeep Dhankhar News : देश के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जितनी राजनीति दिलचस्पीं है, उतनी ही उनकी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन भी इंट्रेस्टिंग है। उनकी पढ़ाई का सफर छोटे से गांव के सरकारी स्कूल से शुरू हुआ और इंटरनेशनल लेवल तक पहुंचा। इतना ही नहीं साइंस से ग्रेजुएशन किया और वकालत में कैरियर बनाया।

सैनिक स्कूल से कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी तक

धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के किठाना गांव में हुआ। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से की। इसके बाद क्लास 6rh में उन्होंने घाढ़ाना गांव के मिडिल स्कूल में एडमिशन लिया, जहां वह डेली 4-5 किलोमीटर पैदल चलकर पढ़ने जाते थे। उनके जीवन का बड़ा बदलाव तब आया जब साल 1962 में उनका चयन चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल में हो गया। यहां उन्हें फुल मेरिट स्कॉलरशिप मिली। सैनिक स्कूल में उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट पास किया, जो उस समय बहुत खास माना जाता था।

साइंस स्ट्रीम के बाद की कानूनी पढ़ाई

धनखड़ ने स्कूल की पढ़ाई के बाद जयपुर के महाराजा कॉलेज से फिजिक्स में B.Sc ऑनर्स किया। साइंस स्ट्रीम के छात्र होने के बावजूद उन्होंने अपना करियर लॉ फील्ड में बनाने का फैसला किया और राजस्थान विश्वविद्यालय से 1979 में LLB की डिग्री प्राप्त की।

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट बने धनखड़

कानून की पढ़ाई के बाद धनखड़ राजस्थान बार काउंसिल में वकील के तौर पर काम करने गले। फिर 1990 में उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट के रूप में मान्यता दी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और अन्य हाईकोर्ट्स में खनन, स्टील, कोयला और इंटरनेशनल कंपनियों के विवाद को झुलझाने वाले मामलों में प्रैक्टिस की।

धनखड़ का राजनीतिक सफर

जगदीप धनखड़ ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1989 में राजस्थान के अजमेर जिले से की। इस साल वह पहली बार सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे। दो साल बाद ही वह 1990 में केंद्रीय राज्य मंत्री बने। इसके बाद वे राजस्थान विधानसभा में भी विधायक रहे। 

धनखड़ बने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल 

जुलाई 2019 में धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनाए गए। जहां उनका कार्यकाल कई संवैधानिक मुद्दों को लेकर चर्चा में रहा। 2022 में भाजपा ने उन्हें एनडीए का उपराष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया और वे 528 वोटों से विजयी होकर भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने।