Aniruddhacharya Statement On Girls : मथुरा-वृंदावन के कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के विवादित बयान ने सोशल मीडिया और महिला संगठनों में तहलका मचा दिया। उन्होंने कहा कि उनके शब्द कुछ विशेष लड़कियों और लड़कों के लिए थे, पूरे समाज के लिए नहीं।
Aniruddhacharya Controversy: मथुरा-वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज पिछले दिनों मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म पर चर्चा में रहे। यह तब हुआ जब उन्होंने लड़कियों की शादी की उम्र और उनके कैरेक्टर को लेकर विवादास्पद बयान दिया। उनके बयानों के खिलाफ महिला संगठनों ने कई जगह विरोध प्रदर्शन किया। TV9 भारतवर्ष की खास बातचीत में अनिरुद्धाचार्य ने अपने बयान और उसके पीछे की वजहों पर सफाई दी।
क्यों छाया विवाद?
अनिरुद्धाचार्य ने अपने बयान में कहा कि उनका कथन कुछ लड़कियों और लड़कों तक सीमित था, सभी के लिए नहीं। उन्होंने बाल-विवाह जैसी गैरकानूनी कुप्रथाओं और स्वतंत्रता के संदर्भ में कानून की बात की। उनके अनुसार, कानून केवल लिव-इन संबंधों में रहने वाली महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करता है, जबकि करोड़ों हिंदुओं की आस्थाओं और भावनाओं को पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता।
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क्या कहा गोमाता और आस्था पर?
महाराज ने गोहत्या पर भी सवाल उठाया और कहा कि देश में लंबे समय से गोहत्या होती रही है, लेकिन इस पर कोई ठोस कानून नहीं बना। उनका कहना है कि गोमाता से करोड़ों हिंदुओं की आस्थाएं जुड़ी हैं, और इस विषय पर भी लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखना जरूरी है।
अभद्र भाषा पर अनिरुद्धाचार्य का नजरिया
जब उनके बयान में अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर सवाल किया गया, तो अनिरुद्धाचार्य ने इसे मां और बच्चे के रिश्ते से जोड़ा। उनका कहना था कि जैसे मां अपने बच्चे को डांटती है और जरूरत पड़े तो थप्पड़ भी मारती है, उसी तरह गुरु की जिम्मेदारी है कि वह अपने शिष्यों को सही मार्ग दिखाए। उन्होंने स्वीकार किया कि उनके शब्द कड़वे थे, लेकिन यही कड़वाहट इस मुद्दे को चर्चा में लाने का कारण बनी।
क्या कहना है उनके भाषण की शैली के पीछे?
अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि वह गांव के रहने वाले हैं और गांववालों की भाषा बोलते हैं। उनके अनुसार, कठोर भाषा के बिना समाज और परिवार में चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने यह भी कहा कि उनका मकसद किसी की भावनाओं को चोट पहुँचाना नहीं था, बल्कि शिष्यों और समाज को सही दिशा दिखाना था।
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