बाबा रामदेव ने महाकुंभ में अश्लीलता पर चिंता जताई और ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि संत बनने के लिए वर्षों की तपस्या चाहिए।

Baba Ramdev On mamta Kulkarni : महाकुंभ के आयोजन के दौरान सोशल मीडिया पर रील्स और फूहड़ता के जरिए सनातन धर्म को विवादों में डालने का मुद्दा उठाते हुए योग गुरु बाबा रामदेव ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने यह भी कहा कि, "कुंभ के नाम पर अश्लीलता और नशा फैलाना पवित्रता को कलंकित करने जैसा है।" उनके बयान ने एक और विवाद को जन्म दिया, जब उन्होंने फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर अपनी आपत्ति व्यक्त की।

एक दिन में महामंडलेश्वर बना दिया जाता है

बाबा रामदेव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि, "सनातन का महाकुंभ पर्व हमारी जड़ों से जुड़ा हुआ एक भव्य उत्सव है, जो पवित्रता और साधना का प्रतीक है। लेकिन कुछ लोग इस महान पर्व को अश्लीलता, नशा और अनुचित व्यवहार से जोड़ रहे हैं, जो बिल्कुल गलत है। कुंभ का असली सार यही है कि यहां मनुष्यता से देवत्व, ऋषित्व और ब्रह्मत्व में आरोहण होता है।" उन्होंने इस दौरान कहा की, कुछ व्यक्ति, जो पहले सांसारिक सुखों में लिप्त थे, अब एक दिन में महामंडलेश्वर बना दिए गए।

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ममता कुलकर्णी का महामंडलेश्वर बनना विवादित

रामदेव ने ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने पर कहा, "आजकल तो ऐसा हो गया है कि कोई भी व्यक्ति एक दिन में महामंडलेश्वर बना दिया जाता है। यह संतत्व का अपमान है।" उन्होंने यह भी कहा कि, "संत बनने के लिए वर्षों की साधना और तपस्या चाहिए होती है, और यह कोई एक दिन में नहीं प्राप्त किया जा सकता। हम सभी को इस साधुता तक पहुंचने में दशकों की तपस्या करनी पड़ी है।"

ओछी हरकतों को कुंभ से जोड़ना गलत

बाबा रामदेव ने आगे कहा, "कुछ लोग कुंभ के नाम पर ओछी हरकतें करते हुए रील्स बना रहे हैं। ऐसे लोगों को यह समझने की जरूरत है कि कुंभ एक शाश्वत सत्य है, जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। सनातन धर्म को महसूस करना, जीना और बढ़ाना बहुत जरूरी है। केवल नाम के लिए सनातन का इस्तेमाल करना, उसे ओछे शब्दों से जोड़ना ठीक नहीं है।"

यह पहली बार नहीं है कि ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर विवाद हुआ है। इससे पहले, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी इस मुद्दे पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि ऐसा करना सनातन धर्म का अपमान है और इसकी कोई आधिकारिक मान्यता नहीं होनी चाहिए।

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