बिजनौर के ग्रामीण इलाकों में बंदरों के आतंक से परेशान किसानों ने रामायण के जामवंत से प्रेरित अनोखा जुगाड़ अपनाया। भालू की वेशभूषा पहनकर खेतों में गश्त करने से बंदर भागने लगे और फसलें सुरक्षित हो गईं।

बिजनौर। खेतों में लहलहाती फसल और चेहरे पर बढ़ती चिंता, बीते कुछ महीनों से बिजनौर के ग्रामीण इलाकों में यही तस्वीर थी। बंदरों के झुंड दिन-दहाड़े खेतों में घुसकर मेहनत की कमाई को मिनटों में तबाह कर रहे थे। हालात ऐसे बन गए थे कि किसान रातों की नींद छोड़कर फसलों की रखवाली को मजबूर हो गए। लेकिन अब इसी संकट के बीच गांवों से एक ऐसा देसी समाधान निकला है, जिसने न सिर्फ बंदरों को दूर भगाया बल्कि किसानों के चेहरों पर भी मुस्कान लौटा दी है।

रामायण से मिला समाधान, जामवंत बने खेतों के रक्षक

बंदरों के बढ़ते आतंक से परेशान किसानों ने बैठकर आपसी चर्चा की और समाधान ढूंढने लगे। इसी दौरान उन्हें रामायण के प्रसिद्ध किरदार ‘जामवंत’ की याद आई भालू के रूप में शक्ति और भय का प्रतीक। यहीं से एक अनोखे जुगाड़ की शुरुआत हुई। किसानों ने आपस में चंदा इकट्ठा किया और एक बड़े, डरावने और असली जैसे दिखने वाले भालू की वेशभूषा तैयार करवाई।

यह भी पढ़ें: बच्चों की जान बेचकर खड़े किए महल! नकली कफ सिरप माफिया की करोड़ों की दुनिया

भालू बनकर खेतों में गश्त, बंदरों में मची भगदड़

अब गांव के किसान बारी-बारी से भालू की ड्रेस पहनकर खेतों के आसपास गश्त करते हैं। जैसे ही बंदरों का झुंड खेतों की ओर बढ़ता है, ‘जामवंत’ रूपी यह मानव प्रहरी खेतों के बीच दिखाई देता है। भालू जैसी आकृति देखते ही बंदर घबरा जाते हैं और बिना नुकसान पहुंचाए वहां से भाग खड़े होते हैं।

Scroll to load tweet…

किसानों का दावा, हिंसा के बिना मिला स्थायी समाधान

ग्रामीणों का कहना है कि यह तरीका उम्मीद से कहीं ज्यादा असरदार साबित हुआ है। भालू की वेशभूषा देखकर बंदर खेतों के पास भी नहीं फटकते। सबसे बड़ी बात यह है कि इस उपाय में न किसी जानवर को नुकसान पहुंचता है और न ही कोई महंगा खर्च आता है। किसानों का कहना है कि फसलें अब पहले से ज्यादा सुरक्षित हैं और उन्हें दिन-रात पहरा देने की मजबूरी भी खत्म हो गई है।

सामूहिक प्रयास और समझदारी की जीत

बिजनौर के किसानों का यह प्रयोग अब आसपास के इलाकों में भी चर्चा का विषय बन गया है। बिना किसी सरकारी मदद या महंगे इंतजाम के, सिर्फ रचनात्मक सोच और सामूहिक प्रयास से उन्होंने बड़ी समस्या का हल निकाल लिया। यह देसी जुगाड़ साबित करता है कि थोड़ी समझदारी और एकजुटता से सबसे मुश्किल चुनौती को भी मात दी जा सकती है।

यह भी पढ़ें: पंकज चौधरी के जरिए शक्ति संतुलन का क्या है प्लान? गोरखपुर फैक्टर ही सबका ध्यान!