UP Vidhansabha Chunav 2027: भाजपा ने अभी से सीटवार रणनीति बनानी शुरू कर दी है। हारी हुई सीटों को 6 और जीती हुई सीटों को 4 कैटेगरी में बांटा गया है। संगठन पन्ना प्रमुख, बूथवार आकलन और मुस्लिम बहुल इलाकों पर खास ध्यान देकर चुनावी तैयारी में जुटा है।

BJP UP Election Strategy: उत्तर प्रदेश में 2027 विधानसभा चुनाव अभी दो साल दूर हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अभी से अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। पार्टी ने न सिर्फ अपने विधायकों का परफॉर्मेंस सर्वे शुरू किया है बल्कि 403 विधानसभा सीटों पर बारीकी से रणनीति भी बनाई है। खास बात यह है कि भाजपा ने 2022 के चुनाव में हारी और जीती सीटों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटकर उन पर विशेष एक्शन प्लान तैयार किया है।

भाजपा ने हारी हुई सीटों को क्यों बांटा 6 कैटेगरी में?

2022 में जिन सीटों पर भाजपा जीत नहीं पाई थी, उन्हें छह अलग-अलग हिस्सों में वर्गीकृत किया गया है। इसका मकसद है – हर सीट की परिस्थितियों को समझते हुए वहां अलग-अलग रणनीति अपनाना।

  • A कैटेगरी: जहां भाजपा 2022 में दूसरे नंबर पर रही, वहां अभी से पन्ना प्रमुखों को सक्रिय किया जाएगा।
  • B कैटेगरी: जिन सीटों पर भाजपा तीसरे नंबर पर रही, वहां संभावित उम्मीदवारों की रिपोर्ट बनाई जाएगी और लगातार संगठन की बैठकें होंगी।
  • C कैटेगरी: मैनपुरी, रायबरेली और आजमगढ़ जैसी परंपरागत सपा-कांग्रेस गढ़ वाली सीटें। यहां केंद्रीय पदाधिकारी लगातार एक्टिव रहेंगे।
  • D कैटेगरी: 2022 में हारी लेकिन उपचुनाव में जीती सीटें। यहां वही पदाधिकारी जिम्मेदारी संभालेंगे जिन्होंने उपचुनाव में जीत दिलाई थी।
  • E कैटेगरी: सहयोगी दलों की हारी सीटें। इन पर भाजपा और सहयोगी मिलकर रणनीति बनाएंगे।
  • F कैटेगरी: मुस्लिम बहुल सीटें। यहां भाजपा के मुस्लिम मोर्चा पदाधिकारी सक्रिय होंगे ताकि अल्पसंख्यक वोट में सेंध लगाई जा सके।

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जीती हुई सीटों को लेकर कैसी रणनीति है?

भाजपा ने सिर्फ हारी सीटों ही नहीं, बल्कि जीती हुई सीटों के लिए भी खास योजना बनाई है। इन सीटों को चार कैटेगरी में बांटा गया है।

  • A कैटेगरी: जहां भाजपा भारी अंतर से जीती, वहां मौजूदा टीम को ही सक्रिय रखा जाएगा।
  • B कैटेगरी: 2017 में हारी लेकिन 2022 में जीती सीटें। यहां बूथवार आकलन होगा कि किन बूथों पर स्थिति सुधरी और किन पर अब भी काम करने की जरूरत है।
  • C कैटेगरी: ऐसी सीटें जहां प्रत्याशी दूसरे दल से आकर भाजपा में शामिल हुए और जीत गए। यहां यह विश्लेषण होगा कि जीत प्रत्याशी की वजह से आई या संगठन की ताकत से।
  • D कैटेगरी: मुस्लिम बहुल इलाके की वे सीटें जहां भाजपा ने जीत दर्ज की, जैसे रामपुर और कुंदरकी। यहां खास फोकस के साथ कार्ययोजना लागू होगी।

2027 का चुनाव भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 2022 के नतीजों ने यह साफ कर दिया था कि कुछ सीटों पर पार्टी की पकड़ कमजोर है। ऐसे में भाजपा की कोशिश है कि कोई भी क्षेत्र उपेक्षित न रहे और हर सीट पर संगठन मजबूत हो। अभी चुनाव में वक्त है, लेकिन भाजपा ने समय रहते अपने संगठन और उम्मीदवारों को तैयार करने की शुरुआत कर दी है। आने वाले महीनों में इन रणनीतियों का असर स्थानीय स्तर पर दिखने लगेगा और यह तय करेगा कि 2027 में भाजपा का प्रदर्शन कितना मजबूत रहेगा।

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