रामपुर के सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी अपनी चौथी पत्नी को छोड़कर मुकर गए। पत्नी की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सांसद को हर महीने ₹30,000 गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।
लखनऊ.एक नहीं, दो नहीं, बल्कि पूरी चार शादियां। अपनी चौथी पत्नी को भी घर भेजकर मुड़कर न देखने वाले सांसद को हाईकोर्ट ने सबक सिखाया है। ये कोई आम आदमी नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी हैं। चौथी पत्नी से उनका एक बेटा भी है। उनकी पिछली पत्नियों से भी बच्चे हैं। जब चौथी पत्नी से मन भर गया, तो उन्होंने उसे मायके भेज दिया और चुप हो गए। कुछ दिनों बाद, चौथी पत्नी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हर महीने 30,000 रुपये का गुजारा भत्ता हासिल किया।
चौथी पत्नी के कदम से नदवी को झटका
पिछली तीन पत्नियों ने एक के बाद एक शादी पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी। लेकिन चौथी पत्नी ने गुस्सा जाहिर किया। सांसद होने की वजह से वह एक के बाद एक शादी करते गए। अपने समुदाय के एक बड़े नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले मोहिबुल्लाह नदवी से शादी के लिए कई परिवार लाइन में थे। शादी के कुछ समय बाद एक बेटे का भी जन्म हुआ। कुछ ही दिनों में मोहिबुल्लाह नदवी का चौथी पत्नी से मन भर गया। इसलिए उन्होंने एक बड़ी चाल चली। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड को लेकर एक आंदोलन चल रहा है। एक सांसद के तौर पर उन्हें समुदाय के नेताओं के कहने पर आंदोलन का नेतृत्व करना है। जिले में समुदाय के लोगों को इकट्ठा करना है। इसलिए, हो सकता है कि वह परिवार को समय न दे पाएं। उन्होंने पत्नी से कहा कि कुछ दिनों के लिए मायके चली जाओ। यही बात उन्होंने अपनी चौथी पत्नी के पिता से भी कही।
वक्फ आंदोलन की वजह से सब मान गए। यह झूठी खबर फैलाई गई थी कि हमारी वक्फ संपत्ति पर कब्जा किया जा रहा है। इसलिए, आंदोलन की गंभीरता को समझते हुए नदवी की बात को हरी झंडी मिल गई। अपनी चौथी पत्नी को मायके छोड़ने के बाद नदवी ने पलटकर नहीं देखा। जब भी उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई, तो वह मिलते ही नहीं थे। महीने बीत गए, लेकिन नदवी का कोई अता-पता नहीं था। इसी बीच, नदवी की तरफ से एक तीसरे व्यक्ति ने आकर सेटलमेंट का ऑफर दिया। इस बात से हैरान होकर चौथी पत्नी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट ने सांसद नदवी की दलील खारिज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आखिरकार चौथी पत्नी के हक में फैसला सुनाया। कोर्ट ने हर महीने 30,000 रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है। इस गुजारा भत्ते के भुगतान से बचने की कई कोशिशों के बावजूद नदवी को कामयाबी नहीं मिली।
