सार

फिरोजाबाद में अंतिम संस्कार की तैयारी के दौरान एक चौंकाने वाली घटना घटी जब मृतक के बीमा होने की जानकारी मिलने पर परिजनों ने चिता से शव उठवाकर पोस्टमार्टम करवाया। यह घटना पैसे के आगे रिश्तों की अहमियत पर सवाल खड़े करती है।

फिरोजाबाद न्यूज. पैसे के आगे किसी की भी इज्जत नहीं होती, यह बात तो हमेशा साबित होती रहती है। श्मशान घाट ले जाए गए और अंतिम संस्कार के लिए तैयार शव को अगर अचानक उठाकर अस्पताल ले जाया जाए तो पैसों का क्या महत्व होगा! फिरोजाबाद में एक ऐसी ही घटना घटी जिसने सबको हैरान कर दिया। पैसे के आगे जनाज़े का भी कोई मोल नहीं होता। यह बात अक्सर साबित होती रहती है। श्मशान घाट (cemetery) ले जाकर, अंतिम संस्कार (Last rites) की पूरी तैयारी करने के बाद जब अचानक शव को उठाकर अस्पताल ले जाया गया तो लोग हैरान रह गए। चिता को आग लगाने ही वाले थे कि परिजनों को एक सच्चाई पता चली। फिर क्या था, झटपट शव को अस्पताल ले जाया गया और पोस्टमार्टम करवाया गया। दरअसल, मृतक ने इंश्योरेंस (Insurance) करवा रखा था। जब परिजनों को उसके नाम का बीमा होने की जानकारी मिली तो वे पोस्टमार्टम (Post mortem) करवाने के लिए आगे आए। 

यह घटना फिरोजाबाद के दम्मामल की है। यहां के रहने वाले 55 वर्षीय व्यक्ति की घर में करंट लगने से मौत हो गई थी। मृतक का नाम हरेंद्र था। घर में बिजली का काम करते समय यह हादसा हुआ। हरेंद्र को खोकर परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल था। सभी रिश्तेदारों के आने के बाद अंतिम संस्कार की तैयारी की गई। श्मशान घाट पर सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। बस चिता को आग लगाना बाकी था। तभी परिजनों को याद आया कि हरेंद्र ने बीमा करवा रखा था। 

 

बस फिर क्या था, चिता पर पड़े हरेंद्र के शव को नीचे उतारा गया और पुलिस को सूचना देकर पोस्टमार्टम करवाया गया। रिपोर्ट आने के बाद शव को वापस श्मशान घाट लाया गया और हिंदू रीति-रिवाजों से उसका अंतिम संस्कार किया गया। अगर हरेंद्र का अंतिम संस्कार ऐसे ही हो गया होता तो परिजनों को बीमा का पैसा नहीं मिल पाता। बीमा का पैसा पाने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट अनिवार्य होती है। यह जानते हुए परिजनों ने शव को चिता से उतरवाकर पोस्टमार्टम करवाया। 

बीमा का पैसा पाने के लिए कौन-कौन से दस्तावेज ज़रूरी हैं?: किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद उसके नाम का बीमा का पैसा पाने के लिए कुछ दस्तावेज अनिवार्य होते हैं।

मृत्यु प्रमाण पत्र: मृत्यु प्रमाण पत्र देना होगा। इसमें व्यक्ति की मृत्यु का समय, स्थान और कारण दर्ज होता है। बीमा कंपनियां, पैसे का दावा करने वाले व्यक्ति के पहचान के प्रमाण भी मांगती हैं। वे यह भी जांच करती हैं कि क्या मृतक द्वारा नामित व्यक्ति ही आवेदन कर रहा है या नहीं।  

बीमा पॉलिसी के पेपर: बीमा पॉलिसी के मूल नियम भुगतान की जाने वाली राशि को प्रभावित करते हैं। इसलिए बीमा का दावा करने वाले व्यक्ति को बीमा पॉलिसी के पेपर देने होते हैं। 

मेडिकल सर्टिफिकेट:  यह बीमा कंपनी की ज़रूरतों पर निर्भर करता है। 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट: असामान्य मौत के मामलों में यह ज़रूरी होता है। मृत्यु के तरीके के आधार पर बीमा नियम और भुगतान की जाने वाली राशि अलग-अलग हो सकती है। 

अस्पताल के कागज़ात: अगर किसी बीमारी के कारण व्यक्ति की मृत्यु हुई है तो अस्पताल के कागज़ात ज़रूरी होते हैं।  

 

नौकरी का सर्टिफिकेट: अकाल मृत्यु के मामले में यह सर्टिफिकेट ज़रूरी होता है। अलग-अलग बीमा कंपनियां अकाल मृत्यु को अलग-अलग तरह से परिभाषित करती हैं। इसलिए संबंधित बीमा कंपनी से संपर्क करके इस बारे में जानकारी लेनी चाहिए। ज़रूरत पड़ने पर यह दस्तावेज देना होगा।