Greater Noida Student Suicide: ग्रेटर नोएडा में 16 साल की छात्रा ने AI चीटिंग के शक में पूछताछ के बाद आत्महत्या की। परिवार ने मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया। क्या स्कूल नियम बच्चों के लिए सुरक्षित हैं या यह त्रासदी का कारण बना?
Greater Noida Crime News: ग्रेटर नोएडा में 16 साल की एक छात्रा की मौत ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। यह घटना तब हुई जब 10वीं क्लास की छात्रा से प्री-बोर्ड परीक्षा के दौरान AI टूल्स का उपयोग करने के शक में पूछताछ की गई। पुलिस के मुताबिक, लड़की के मोबाइल में परीक्षा के दौरान AI आधारित मदद का इस्तेमाल देखा गया। इसके बाद स्कूल के शिक्षक और प्रिंसिपल ने उससे कई सवाल किए। छात्रा के पिता का कहना है कि उनकी बेटी को स्कूल प्रशासन द्वारा मानसिक उत्पीड़न और सार्वजनिक अपमान का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि बेटी को अपमानित करने और डराने की वजह से वह गंभीर मानसिक दबाव में आ गई। इसके चलते छात्रा ने दुखद रूप से अपनी जान दे दी। पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और स्कूल अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
क्या AI-आधारित मदद के शक में हुई छात्रा की मौत?
पुलिस के अनुसार, छात्रा का मोबाइल फोन परीक्षा के दौरान कथित तौर पर AI-आधारित मदद के इस्तेमाल के लिए पाया गया। इसके बाद स्कूल अधिकारियों ने उससे पूछताछ की। परिवार ने कहा कि पूछताछ और अपमानजनक व्यवहार ने छात्रा की भावनाओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जबकि स्कूल ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि छात्रा को CBSE परीक्षा नियमों के अनुसार सख्ती से डांटा गया और बातचीत संक्षिप्त थी। स्कूल प्रशासन ने इस घटना से इनकार किया है। प्रिंसिपल का कहना है कि छात्रा से बातचीत नियमों के अनुसार और संक्षिप्त रूप में की गई थी, जिसमें किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं हुआ। स्कूल ने बताया कि छात्रा का मोबाइल जब्त किया गया था और उसे CBSE परीक्षा नियमों के अनुसार डांटा गया।
छात्रा की मौत पर अब तक का पुलिस अपडेट क्या है?
पुलिस ने पुष्टि की है कि स्कूल द्वारा CCTV फुटेज उपलब्ध कराई गई है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है। जांच यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि छात्रा पर वास्तव में मानसिक दबाव डाला गया था या यह सिर्फ परिस्थितियों का दुखद परिणाम था। विशेषज्ञों का मानना है कि AI टूल्स के इस्तेमाल को लेकर परीक्षा में सख्ती बढ़ी है। लेकिन बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा पर भी उतनी ही ध्यान देना जरूरी है। यह मामला शिक्षा जगत में AI, परीक्षा नियम और छात्रों की सुरक्षा के बीच संतुलन की जरूरत को उजागर करता है।
क्या स्कूल अधिकारियों ने उचित प्रक्रिया का पालन किया?
स्कूल ने कहा कि छात्रा का मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया और केवल नियमों का पालन करते हुए छात्रा को डांटा गया। प्रिंसिपल ने बातचीत को संक्षिप्त और बिना किसी दुर्व्यवहार के बताया। हालांकि, परिवार ने आरोप लगाया कि स्कूल द्वारा सार्वजनिक अपमान और मानसिक दबाव डालने से छात्रा को गहरा तनाव हुआ। मामले की जांच चल रही है। यह जांच यह निर्धारित करेगी कि पूछताछ और शिक्षक व्यवहार किस हद तक छात्रा पर दबाव डालने वाला था।
क्या AI और डिजिटल टूल्स ने स्कूल में विवाद खड़ा कर दिया?
इस घटना ने AI टूल्स और डिजिटल मदद के उपयोग को लेकर स्कूलों में सख्ती पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्राओं और छात्रों को डिजिटल टूल्स के प्रयोग और परीक्षा नियमों के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूलों को सख्ती और अनुशासन के बीच संवेदनशीलता बनाए रखनी चाहिए, ताकि छात्र मानसिक रूप से सुरक्षित रहें और एआई-आधारित आधुनिक उपकरणों के लिए डर न महसूस करें।
क्या परिवार न्याय की उम्मीद कर सकता है?
छात्रा के पिता ने प्रिंसिपल और शिक्षकों के खिलाफ मानसिक उत्पीड़न और अपमान का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस अब मामले की पूरी तरह से जांच कर रही है, जिसमें स्कूल की पूछताछ प्रक्रिया और CCTV फुटेज की समीक्षा शामिल है।
क्या स्कूलों में मानसिक सुरक्षा की जरूरत बढ़ गई?
ग्रेटर नोएडा की यह घटना छात्राओं की मानसिक सुरक्षा और डिजिटल नियमों की संवेदनशीलता पर ध्यान खींचती है। स्कूलों को चाहिए कि AI टूल्स और परीक्षा नियमों के बीच छात्रों को सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण दें, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाएं न हों।


